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Bhasha Vigyan Evam Bhasha Shastra (भाषा विज्ञान एवं भाषा शास्त्र)

255.00

Author Dr. Kapildev Dwivedi
Publisher Vishwavidyalay Prakashan
Language Hindi
Edition 17th edition, 2024
ISBN 978-93-5146-042-8
Pages 512
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code VVP0022
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Description

भाषा विज्ञान एवं भाषा शास्त्र (Bhasha Vigyan Evam Bhasha Shastra) ग्रन्थ-लेखन का उद्देश्य मैं १६४४ ई० से अब तक भाषाविज्ञान विषय के अध्ययन और अध्यापन काल में यह अनुभव करता रहा हूँ कि हिन्दी भाषा में भाषाशास्त्र विषय पर प्रामाणिक एवं सुरुचिपूर्ण ग्रन्थों का अभाव है। स्रातकोत्तर कक्षाओं के अध्यापन में अध्यापकों को भी अंग्रेजी में लिखी हुई पुस्तकों का ही आश्रय लेना पड़ता है। राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी के प्रतिष्ठित होने पर भी प्रामाणिक एवं सर्व- विषयावगाही भाषाशास्त्र की पुस्तकों का हिन्दी में अभाव निरन्तर हृदय को पीडित कर रहा था। इसी अभाव की पूर्ति के लिए यह तुच्छ प्रयत्न किया गया है। आशा है भाषाशास्त्र के प्रेमी अध्यापकों, विद्वानों एवं अध्येताओं का इससे मनस्तोष होगा।

व्याकरण को व्याधिकारक ‘व्याकरणं व्याधिकरणम्’ कहा जाता है। इसी प्रकार भाषाविज्ञान और भाषाशास्त्र को शिरः शूलकर समझा जाता है भाषा विज्ञानमेतद् हिं शिरः शूलकरं परम्’, ‘भाषाशास्त्रं व्याधिकरम्’। विषय को अरुचिकर या नीरस ढंग से प्रस्तुत करना ही इसका प्रमुख कारण है। मैंने प्रयत्न किया है कि इस कठिन विषय को सरल, सुबोध और रोचक ढंग से प्रस्तुत किया जाए। मुझे पूर्ण विश्वास है कि कोई भी व्युत्पन्न अध्येता एक बार इस ग्रन्थ को आद्योपान्त पढ़ने पर लेखक की इस उक्ति का समर्थन करेगा। इस ग्रन्थ में प्रयत्न किया गया है कि भाषा-विज्ञान और भाषाशास्त्र का कोई भी महत्त्वपूर्ण विषय छूटने न पावे। ग्रन्थ के आकार की विशालता के परिहारार्थ कुछ उपयोगी विषय एवं विवरण छोड़ने पड़े हैं या अत्यन्त संक्षेप में देने पड़े हैं। तदर्थ लेखक क्षम्य है।

प्रस्तुत ग्रन्थ में ध्वनिविज्ञान (Phonetics) और स्वनिम-विज्ञान (Phonemics) विषय पर विशेष महत्त्वपूर्ण सामग्री दी गई है। स्व-निर्मित श्लोकों के द्वारा पारिभाषिक शब्दों आदि की व्याख्या की गई है। इनसे विषय सरलता से स्मरण हो सकेगा। जर्मन, फ्रेंच, चीनी, अरबी आदि भाषाओं के विषय में पर्याप्त उपयोगी सामग्री दी गई है। संस्कृत के प्रामाणिक ग्रन्थों से यथास्थान उपयुक्त उद्धरण प्रस्तुत किये गये हैं। इस ग्रन्थ में लेखक का उद्देश्य है सरलता, संक्षेप और प्रामाणिकता।

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