Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-20%

Hindi Sahitya Ka Itihas (हिंदी साहित्य का इतिहास)

160.00

Author Dr. Bhagwan Tiwari
Publisher Bharatiya Vidya Sansthan
Language Hindi
Edition 1st edition, 2004
ISBN 81-87415-52-5
Pages 666
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code BVS0069
Other Dispatched in 1-3 days

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

हिंदी साहित्य का इतिहास (Hindi Sahitya Ka Itihas) साहित्य संस्कृति का प्रतीक होता है। हिन्दी भाषा का साहित्य भारतीय संस्कृति का विशाल कोश है। अतः हिन्दी साहित्येतिहास-लेखन का कार्य अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है। यह कार्य कठिन भी है और जोखिम भरा भी है। आज हिन्दी भाषा एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रतिष्ठित हो गई है। हिन्दी साहित्य में हजारों वर्षों की युग-चेतना एवं इतिहास छिपा हुआ है। समय-समय पर हिन्दी साहित्य में किए गए नये-नये शोध परिणाम भी छिपे हुए है। अतः लम्बे समय से इन सबका निरूपण करने के लिए हिन्दी साहित्य के इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। प्रस्तुत ग्रंथ में इसी आवश्यकता की पूर्ति का विनम्र सप्रयास किया गया है।

हिन्दी-साहित्य में जिस प्रकार आलोचना के क्षेत्र में व्यापक विकास हुआ है उसी प्रकार हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के क्षेत्र में भी अनेक ग्रंथ लिखे गए है। यह कहना बिल्कुल न्याय संगत है कि उनमें कवियों तथा उनकी कृतियों के परिचय एवं विवेचन के साथ साथ युगीन परिस्थितियों तथा प्रवृत्तियों का निरूपण भी किया गया है। सभी हिन्दी साहित्येतिहास लेखको ने आचार्य ५० रामचन्द्रशुक्ल की इस उक्ति “प्रत्येक देश का साहित्य वहाँ की जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिम्ब होता है” का पालन किया है। सभ्यता के विकास के परिणाम स्वरूप विज्ञान एवं मनोविज्ञान में नये नये अन्वेषण और प्रयोग हुए हैं और हो रहे है और यही पद्धति एवं दृष्टि साहित्य में भी अपनाई गई है। अतः साहित्येतिहास-लेखन में भी नई-नई शैलियों का विकास हुआ है। एक वैज्ञानिक की तरह साहित्य के इतिहास लेखक की दृष्टि भी बौद्धिक एवं प्रयोगशील बन गई है। वैज्ञानिक प्रभाव से सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक परिवर्तन के साथ ही जिस नूतन वैज्ञानिक शैली की उल्क्रान्ति हुई है उसी को मानदण्ड बनाकर इस ग्रंथ की रचना हुई है।

साहित्य के इतिहास का सम्बन्ध अतीत की व्याख्या से होता है और प्रत्येक व्याख्या के मूल में इतिहास लेखक का दृष्टिकोण अनुस्यूत रहता है। एक साहित्य के इतिहास के लेखक के रूप में मेरा दृष्टिकोण मूलतः वैज्ञानिक है। सिद्धान्तों तथा प्रतिष्ठित नियमों को केन्द्र में रखकर प्राप्त सामग्री की तथ्यपरक एवं बौद्धिक व्याख्या इस ग्रंथ में सुस्पष्ट रूप में की गई है। हिन्दी-साहित्य के इतिहास के लेखक के उत्तरदायित्व का सच्चाई से निर्वाह करने के लिये मैंने एक ओर प्राप्त विभिन्न शोध-प्रबन्धों का गहराई से अध्ययन किया है और दूसरी ओर उपलब्ध सामग्री का वैज्ञानिक ढंग से विवेचन भी किया है। इस ग्रंथ में केवल भाषा एवं साहित्य का निरूपण ही नहीं किया गया है, युग-परिवर्तन के साथ-साथ हिन्दी भाषी क्षेत्र के निवासियों के जीवन मूल्यों में जो बदलाव आया है उसे भी उस युग की साहित्यिक कृतियों में खोजा गया है, और उनका सम्यक विश्लेषण किया गया है। साहित्य-चेतना में विकास की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Hindi Sahitya Ka Itihas (हिंदी साहित्य का इतिहास)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×