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Paralok Aur Punarjanmank (परलोक और पुनर्जन्मांक)

220.00

Author -
Publisher Gita Press, Gorakhapur
Language Hindi
Edition 15th edition
ISBN -
Pages 704
Cover Hard Cover
Size 19 x 3 x 27 (l x w x h)
Weight
Item Code GP0096
Other Code - 572

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Description

परलोक और पुनर्जन्मांक (Paralok Aur Punarjanmank) परलोक और पुनर्जन्मका सिद्धान्त भारतीय धर्मशास्त्रोंका एक महत्त्वपूर्ण विषय है। वेदोंसे लेकर आधुनिक दर्शन-ग्रन्थोंतक सभीने इस सिद्धान्तकी पुष्टि की है। कठोपनिषद्‌का नचिकेतोपाख्यान तो इस सिद्धान्तका जीता जागता प्रमाण है। यमने नचिकेताके प्रश्नका उत्तर देते हुए कहा है कि ‘जो मूर्ख धनके मोहसे अन्धे होकर प्रमादमें लगे रहते हैं, उन्हें परलोकका साधन नहीं सूझता। यह लोक ही सत्य है, परलोक और पुनर्जन्म-जैसी कोई वस्तु नहीं है-ऐसा मानकर नैतिक-अनैतिक मार्गसे भोगका साधन एकत्र करनेवाला तथा भोगको सब कुछ माननेवाला व्यक्ति बार-बार जन्म और मृत्युके चक्करमें पड़ता है एवं नाना प्रकारके कष्ट भोगता है।’

परलोक एवं पुनर्जन्मके सिद्धान्तमें विश्वास करनेवाला मनुष्य यह समझ सकता है कि उसके वर्तमान जीवनका सुख-दुःख, दरिद्रता-वैभव आदि उसके पूर्वजन्ममें किये गये सत्-असत् कर्मोंका परिणाम है तथा वर्तमान जीवनमें किये गये दुष्कर्मोंका परिणाम उसे अनेक योनियोंमें जन्म लेकर भोगना पड़ेगा। परलोक एवं पुनर्जन्मपर विश्वास करनेवाला मनुष्य अपने कर्मोंमें सुधार करनेका प्रयास करता है तथा भगवद्भक्ति एवं ज्ञानका आश्रय ग्रहण करके कालान्तरमें जन्म और मृत्युके कष्टकारक बन्धनको तोड़कर मुक्त हो जाता है।

मनुष्यमात्रको परलोक, पुनर्जन्म एवं जन्म-मृत्युके रहस्यसे परिचित कराकर सत्कर्म एवं भगवद्भक्तिकी प्रेरणा प्रदान करनेके उद्देश्यसे ‘कल्याण’ वर्ष ४३, सन् १९६९ ई० में विशेषाङ्कके रूपमें ‘परलोक और पुनर्जन्माङ्क’ का प्रकाशन किया गया था। अबतक श्रद्धालु एवं धार्मिक जनता इस विशेषाङ्कके अध्ययन और मननके द्वारा अपने लिये कल्याणकारी दिशा-निर्देशन प्राप्त करती रही है।

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