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Sunderkand (सुन्दरकाण्ड)

30.00

Author -
Publisher Gita Press, Gorakhapur
Language Hindi
Edition 62nd edition
ISBN -
Pages 126
Cover Paper Back
Size 14 x 1 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code GP0058
Other Code - 1349 (सचित्र-सटीक-मोटा टाइप)

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Description

सुन्दरकाण्ड (Sunderkand) श्रीरामचरितमानस एक प्रासादिक ग्रन्थ है। इस पवित्र ग्रन्थ के पठन- पाठन और मनन से मनुष्य का सहज ही कल्याण होता है। इसका प्रत्येक दोहा, चौपाई, सोरठा तथा छन्द महामन्त्र है। सुन्दरकाण्ड के संदर्भ में तो कहना ही क्या है? यद्यपि सम्पूर्ण श्रीरामचरितमानस ही मनोहर है, किन्तु इसका सुन्दरकाण्ड अत्यन्त ही मनोहर है। जिस प्रकार महाभारतका विराटपर्व सर्वश्रेष्ठ अंश है, उसी प्रकार श्रीरामचरितमानसमें सुन्दरकाण्ड सर्वश्रेष्ठ अंश है। इसकी श्रेष्ठताका कारण बताते हुए कहा गया है- ‘सुन्दरे सुन्दरो रामः सुन्दरे सुन्दरी कथा। सुन्दरे सुन्दरी सीता सुन्दरे किन्न सुन्दरम् ॥’ अर्थात् सुन्दरकाण्डमें श्रीराम सुन्दर हैं, कथा सुन्दर है, सीता सुन्दर हैं। सुन्दरमें क्या सुन्दर नहीं है। इसके अतिरिक्त इसमें हनुमान्जीका पावन- चरित्र है जो भक्तोंके लिये कल्पवृक्ष है।

एक बात निर्विवाद है कि सुन्दरकाण्ड का श्रद्धालुजन अनुष्ठान करते हैं, जिससे उनकी प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। दूसरी बात सुन्दरकाण्डकी कथा, पात्रोंके स्वभाव और आचरण आदि में आध्यात्मिकता तथा रहस्यात्मकता का मणिकाञ्चन-संयोग दिखायी पड़ता है।

सुन्दरकाण्ड की अनन्त विशेषताओंसे पाठकोंको परिचित करानेके उद्देश्यसे गीताप्रेससे इसके कई संस्करण प्रकाशित किये गये हैं। इस संस्करणमें पाठकोंको अनुष्ठानके रूपमें शुद्ध पाठ करनेकी सुविधा प्रदान करनेकी दृष्टिसे प्रारम्भमें श्रीजानकीनाथजीकी आरती और पारायण-विधि दी गयी है, जिससे पाठक आवाहन, न्यास तथा ध्यानके साथ शुद्ध पाठ कर सकें।

भक्तों की मान्यता है कि सुन्दरकाण्डके पाठका प्रारम्भ किष्किन्धा- काण्डके दोहा-संख्या-२९ से करना चाहिये। अतः सुन्दरकाण्ड के पूर्व कि ष्किन्धाकाण्डका दोहा-संख्या – २९ दिया गया है। अर्थसहित पाठ करनेकी विशेष महत्ता बतायी गयी है, इसलिये इसमें मूल पाठके साथ अर्थसहित सुन्दरकाण्ड और अन्तमें हनुमानचालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, रामायणजीकी आरती, हनुमान्जीकी आरती एवं श्रीरामस्तुति दी गयी है। इस संस्करणका टाइप भी मोटा रखा गया है, जिससे वयोवृद्ध पाठकों को भी पाठ करनेमें सुविधा हो। आशा है, पाठकगण इसे अधिक-से-अधिक संख्यामें अपनाकर हमारा उत्साहवर्धन करेंगे।

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