Ashtakavarga Mahanibandh (अष्टकवर्ग महानिबन्ध:)
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Author | Dr. Suresh Chandra Mishr 'Jyotishacharya' |
Publisher | Ranjan Publication |
Language | Sanskrit - Hindi (Translation) |
Edition | 1st Edition - 2017 |
ISBN | - |
Pages | 424 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h ) |
Weight | |
Item Code | RP0004 |
Other | Dispatch In 1-3 days |
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अष्टकवर्ग महानिबन्ध: (Ashtakavarga Mahanibandh) ज्योतिष शास्त्र को वैदिक ज्ञान का नेत्र कहा गया है। इस कथन की प्रामाणिकता फलादेश की सत्यता एवं सटीकता पर आधारित है, इस तथ्य से सभी ज्योतिष जिज्ञासु परिचित हैं। एक तरफ जहाँ समस्त भारत के ज्योतिर्विदों ने अष्टकवर्ग की इस अद्भुत, वैज्ञानिक एवं सटीक फल-कथन प्रणाली को ललक के साथ अपनाया है, वहीं पाश्चात्य ज्योतिषी भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।
इस चमत्कारिक विषय को पराशर आदि महर्षियों, वराह प्रभृति आचार्यों एवं वैद्यनाथ जैसे संग्राहक विद्वानों ने अपने-अपने ग्रन्थों में स्थान देकर इसका गौरव तो बढ़ाया ही है, साथ ही इसे प्रामाणिकता भी प्रदान की है। विस्तृत रूप में सर्वांगपूर्ण शास्त्रीय पद्धति से इसका विवेचन आज तक एक स्थान पर संस्कृत ग्रंथों में भी दुर्लभ रहा है। विशेषतया हिन्दी पाठक तो इस विषय के ज्ञान से वंचित ही रहे हैं। प्रस्तुत गौरवशाली ग्रंथ निश्चय ही इस अभाव की पूर्ति करता है।
प्रथम बार प्रकाशित इस ग्रंथ रत्न में आप पायेंगे-
(1) विषय की सम्पूर्ण जानकारी
(2) गूढ़ विषय का विद्वतापूर्ण शास्त्रीय किन्तु सरल विवेचन का अद्वितीय ढंग
(3) फलादेश की शक्ति को धारदार बनाने का अद्वितीय ढंग
(4) समग्रता, सरलता एवं विषय की उच्चता के साथ व्यावहारिकता का समावेश
(5) चमत्कारिक फल कहकर यश एवं धन की प्राप्ति
फलादेश का सूक्ष्मतम अनुसन्धान पूर्ण कार्य प्रथम श्रेणी के मौलिक ग्रंथों की श्रंखला में एक अभूतपूर्व वृद्धि, ज्योतिष के फलित विभाग में मेरुदण्ड समान।
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