Ayurvediya Grih Vastu Chikitsa (आयुर्वेदीय गृह वास्तु चिकित्सा)
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Author | Dr. O.P. Verma |
Publisher | Chaukhamba Orientalia |
Language | Hindi |
Edition | 2024 |
ISBN | 978-81-763727-70 |
Pages | 240 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 3 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CO0059 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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आयुर्वेदीय गृह वास्तु चिकित्सा (Ayurvediya Grih Vastu Chikitsa) “शरीरमाद्यं जलु धर्म-साधनम्” की उक्ति प्राचीन है। यानी पहले शरीर-साधना, फिर धर्म-साधना। स्वस्थ शरीर के विना धर्म-साधना संभव नहीं है। अतः न केवल धर्म-साधना, अपितु अन्य विविध-कायों की सिद्धि हेतु शरीर का स्वस्थ होना सफलता का प्रथम सूत्र है। आज हमारे देश में स्वस्थ रहने के लिए विविध फार्मूलों का प्रयोग किया जाता है, किन्तु शरीर के स्वस्थ अथवा अस्वस्थ रहने के मूल में हमारा खान-पान ही विशेष रूप से उत्तरदायी है। अतः सर्वदा स्वस्थ रहने के लिए हमें यह आवश्यक है कि हम अपने दैनिक खान-पान में प्रयोग किए जाने वाली वस्तुओं के गुणों और अवगुणों से परिचित होकर उनके प्रयोग में सतर्कता बरतें और अपनी प्रकृति के अनुसार उचित मात्रा में उनका सेवन करें।
वैद्य ओ० पी० वर्मा द्वारा लिखित प्रस्तुत “गृह-वस्तु चिकित्सा” नामक ग्रन्थ इसी उद्देश्य की पूर्ति करता है। श्री वर्मा चिड़ावा (झुंझुनु-राजस्थान) के मूल निवासी हैं। इन्हें आयुर्वेद संबंधी ज्ञान अपने पिता (स्व०) वैद्य रिछपालसिंहजी से परंपरागत प्राप्त है। आप द्वारा अब तक आयुर्वेद संबंधी लगभग एक सौ निबंध विभिन्न दैनिक एवं मासिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित किए जा चुके हैं। श्री वर्मा ने अपने इस “गृहवस्तु चिकित्सा” नामक ग्रन्थ में दैनिक प्रयोग में आने वाले अदरक, हल्दी, मिर्च, जीरा आदि मसालों, प्याज, नींबू, पालक, टमाटर आदि सब्जियों एवं गेहूँ, चना आदि खाद्यान्नों के गुण-दोषों पर विचार करते हुए उनके विविध अनुपानों से अनेक रोगों के शमन की प्रक्रिया बतलाई है, जिससे हम घर बैठे सहज में ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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