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Baba Neeb Karori Ke Alokik Prasang (बाबा नीब करौरी के अलौकिक प्रसंग)

361.00

Author Bacchan Singh
Publisher Vishwavidyalay Prakashan
Language Hindi
Edition 5th edition, 2024
ISBN 978-81-7124-856-8
Pages 528
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code VVP0016
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Description

बाबा नीब करौरी के अलौकिक प्रसंग (Baba Neeb Karori Ke Alokik Prasang) बाबा नीब करौरी अपने समय के महानतम संत थे। उनके जन्म काल के बारे में कोई प्रामाणिक विवरण उपलब्ध नहीं है लेकिन कुछ भक्त उनके जीवन का विस्तार १८वीं शताब्दी से २०वीं शताब्दी तक मानते हैं। बहरहाल उन्होंने ११ सितम्बर १९७३ को लौकिक शरीर त्याग दिया। बाबा नीव करौरी सर्वज्ञ थे, सर्वशक्तिमान थे और सर्वव्यापक थे। वे कहते थे, “मैं हवा हूँ, मुझे कोई रोक नहीं सकता। मैं धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए पृथ्वी पर आया हूँ।”

बाबा समसामयिक संतों में सर्वोपरि थे। कुछ लोग उन्हें साक्षात् हनुमानजी का अवतार मानते थे तो कुछ संतों का कहना था कि नीब करौरी महाराज को हनुमानजी की सिद्धि है। वह कुछ भी कर सकते हैं। यदि मृत व्यक्ति को पुनर्जीवन देने की क्षमता किसी में है तो वह एकमात्र संत हैं- नीब करौरी बाबा। बाबा ने कथा, प्रवचन, आडम्बर, प्रचार-प्रसार से दूर रह कर दीन-दुःखियों की सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया। भक्तों का आर्तनाद सुनकर तुरन्त पहुँच जातें और उसे संकट से उबार देते। वे भक्तवत्सल थे, गरीब नवाज थे और संकटमोचक थे।

बाबा नीब करौरी का सम्पूर्ण जीवन अलौकिक क्रिया-कलापों से भरा हुआ है। कोई शक्ति उन्हें एक जगह बाँध कर नहीं रख सकती थी। वे एक साथ भारत में भी होते और लंदन में भी। लखनऊ में भी और कानपुर में भी। पवन वेग से क्षण भर में ही कहीं भी अवतरित हो जाते। उन्हें कमरे में कैद करके रखना असम्भव था। सूक्ष्म रूप में बाहर निकल जाते और वांछित कार्य सम्पन्न कर लौट आते। महाराजजी का हर क्षण अलौकिक होता-वे स्वयं अलौकिक जो थे। महाराजजी के भक्तों ने उनकी अलौकिक घटनाओं, लीलाओं और प्रसंगों को विभिन्न पुस्तकों में संकलित किया है। ये पुस्तकें अंग्रेजी में भी हैं और हिन्दी में भी। इस पुस्तक में महाराजजी के सभी अलौकिक क्रिया-कलापों को एक जगह संकलित करने का प्रयास किया गया है।

 

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