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Bharat Ke Samkalin Shiksha Darshnik (भारत के समकालीन शिक्षा दार्शनिक)

(1 customer review)

Original price was: ₹200.00.Current price is: ₹170.00.

Author Dr. Anubha Shukla
Publisher Sharda Sanskrit Sansthan
Language Hindi
Edition 2016
ISBN 978-93-81999-77-6
Pages 143
Cover Paper Back
Size 14 x 1 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SSS0056
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Description

भारत के समकालीन शिक्षा दार्शनिक (Bharat Ke Samkalin Shiksha Darshnik) प्रारम्भ से ही शिक्षा मनुष्य के सभ्य, सुसंस्कृत एवं प्रगतिशील जीवन का आधार है। यह एक ऐसा साधन है जो हमें सदा ही अन्धकार से प्रकाश की ओर तथा असत् से सत्मार्ग की ओर ले जाती है। ‘शिक्षा हम किससे प्राप्त करते हैं? यह किन व्यक्तियों के विचारों की उपज होती है? इन प्रश्नों पर चिन्तन करते ही यह स्पष्ट हो जाता है कि इस धरा पर समय-समय पर महापुरुषों का आगमन होता रहा है, जिन्होंने अपने व्यापक चिन्तन तथा दिव्य ज्ञान के आलोक से जन-मानस को नई दिशा प्रदान की है। हमारा देश कई बार विदेशी आक्रमण का शिकार हुआ है, जिससे यहाँ की धर्म, संस्कृति और शिक्षा सबसे अधिक प्रभावित हुई है। यहाँ लम्बे समय तक संघर्ष, संशय तथा दिशाहीनता का बोलबाला रहा है। अन्तर्द्वन्द्व की लड़खड़ाहट से यहाँ की शिक्षा पद्धति अछूता न रह सकी।

हमारे देश का यह सौभाग्य रहा है कि समय-समय पर ऐसे शिक्षा- नायक, शिक्षाशास्त्री तथा शिक्षादार्शनिकों का आविर्भाव हुआ, जिन्होंने अपनी प्रासंगिक तथा व्यावहारिक सिद्धान्तों और सूझ-बूझ से यहाँ की शिक्षा-पद्धति में सुधार का प्रयास किया। आज शिक्षा, सभ्यता और संस्कृति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। अपनी परम्पराओं, लोक-चेतना तथा मूल्यों के ह्रास से जन-समुदाय आतंकित हो उठता है। मूल्यपरक शिक्षा, उद्यमशीलता, तकनीकी कुशलता, भौतिक एवं आध्यात्मिक सामञ्जस्य, धर्म एवं कर्म का जुड़ाव ऐसे ज्वलन्त मुद्दे समाज में गूँज रहे हैं। मौलिकता की जगह खोखलापन, सार्थक समय सदुपयोग की जगह उदासीनता मिटाने का निरर्थक प्रयास, सत्संग की जगह सोशल मीडिया, नेटवर्किंग इतना सब परिवर्तन, जिसे गिना नहीं जा सकता – ‘क्षण-प्रतिक्षण परिवर्तन।’

ऐसे में यह आवश्यक हो गया है कि इस उर्वर भारतीय धरा पर ज्ञान तथा संस्कृति का जो वटवृक्ष हमारे विश्व प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्रियों ने लगाया, उसकी सुखद छाया में हम वर्तमान शिक्षा का मूल्यांकन करते हुए, उनके शैक्षिक विचारों का अध्ययन तथा गहन चिन्तन कर शैक्षिक विषमताओं को दूर करने का मार्ग निकालें। इस पुस्तक में बी.एड. के नवीन पाठ्यक्रम ‘अध्ययन एवं चिन्तन’ को ध्यान में रखकर पाँच अध्याय में शिक्षाशास्त्रियों के शिक्षा दर्शन को संकलित किया गया है।

1 review for Bharat Ke Samkalin Shiksha Darshnik (भारत के समकालीन शिक्षा दार्शनिक)

  1. Satyawati chauhan

    लेखिका को सर्वप्रथम नमन 🙏 ।
    लेखिका ने भारत के मह दार्शनिको के शिक्षा दर्शन प्र शोध कार्य कर फिर पुस्तक रूप में प्रकाशित करवा कर B.ed M.Ed तथा फिलासफी M.A. के विद्यार्थियों के लिए परीक्षा सुगम बना दी है । लेखिका का विषय चयन उत्तम है । शोधकार्य अत्यंत गुणवत्ता लिए है । लेखिका की ये पुस्तक उच्च माध्यमिक स्तर पर भी पाठ्यक्रम में शामिल की जानी चाहिए ।पाश्चात्य सभ्यता के प्रति आकर्षित आज की युवा पीढ़ी के लिए अत्यंत उपयोगी होगी ।

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