Bharatiya Sthapatya Evam Kala (भारतीय स्थापत्य एवं कला)
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Author | Dr. Udaynarayan Upadhyay |
Publisher | Motilal Banarasi Das |
Language | Hindi |
Edition | 2nd edition |
ISBN | 978-81-208-2901-5 |
Pages | 259 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 1 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | MLBD0068 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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भारतीय स्थापत्य एवं कला (Bharatiya Sthapatya Evam Kala) “कला एवं स्थापत्य” विषय में अभिरुचि उत्पन्न करना इस पुस्तक का प्रमुख अभिप्राय है। अध्ययन की दृष्टि से पुस्तक को कुल आठ अध्यायों में विभक्त किया गया है, प्रथम अध्याय में भारतीय कला का क्रमिक विकास, कला का अर्थ, प्रकार एवं उसकी विशेषता के साथ ही स्थापत्य कला की व्युत्पत्ति एवं विकास पर प्रचुर प्रकाश डाला गया है। दूसरे अध्याय में सैन्धव घाटी सभ्यता की स्थापत्य एवं कला से संबंधित महत्वपूर्ण स्मारकों, मूर्तिकला, मुहरें, मृण्मयी मूर्तियों, मृद्भाण्डों एवं आभूषणकला की समुचित विवेचना की गयी है। तीसरा अध्याय पूर्व मौर्य एवं मौर्य युग से संबंधित है। चतुर्थ अध्याय में शुंग सातवाहन युग की स्थापत्य एवं कला का विधिवत् अनुशीलन किया गया है। पांचवें अध्याय में कुषाणकालीन स्थापत्य की विवेचना के अतिरिक्त इस युग की कला की दो प्रमुख विधाओं-गान्धार एवं मथुरा के विभिन्न पक्षों पर विधिवत् चर्चा की गयी है। छठे अध्याय में गुप्तकालीन स्थापत्य कला एवं चित्रकला के विभिन्न पक्षों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
सातवां अध्याय राजपूत कालीन स्थापत्य से संबंधित है। आठवें अध्याय में दक्षिण भारत की विभिन्न स्थापत्य शैलियों एवं तत्संबंधी मन्दिरों तथा अन्य निर्माणों का सचित्र विवरण प्रस्तुत किया गया है। भारतीय स्थापत्य एवं कला पर अभी तक प्रकाशित अधिकांश प्रसिद्ध पुस्तकें पश्चिमी विद्वानों द्वारा विदेशी दृष्टिकोण से लिखी गयी हैं। अस्तु ये प्रायः अनेक पूर्वाग्रहों से ग्रस्त रही हैं। परंतु प्रस्तुत पुस्तक में हमारा प्रयास इसे नितान्त भारतीय दृष्टिकोण से प्रमाणिक तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत करने का रहा है। स्थापत्य एवं कला संबंधी अनेक अंग्रेजी भाषा के तकनीकी शब्दों के स्थान पर हिन्दी के प्रचलित अथवा अंग्रेजी के ही शब्दों का प्रयोग किया गया है।
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