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Bhoot Damar Maha Tantram (भुतडामरमहातन्त्रम)

40.00

Author Ajay Kumar Uttam
Publisher Bharatiya Vidya Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition, 2002
ISBN 81-87415-27-4
Pages 136
Cover Paper Back
Size 12 x 2 x 19 (l x w x h)
Weight
Item Code BVS0116
Other 'पद्मिनी' हिंदी व्याख्या सहित

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Description

भुतडामरमहातन्त्रम (Bhoot Damar Maha Tantram) भारतीय साधना जगत् में तंत्रशास्त्र का विशिष्ट स्थान है। तंत्रशास्त्र का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है। इसमें तन्त्र-मन्त्र, योग, ज्योतिष, यंत्रनिर्णय, कोण- कथन, स्त्री-पुरुष लक्षण, कायाकल्प, देवता, देवी, भूत-प्रेत, पिशाच, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर, यक्षिणी, देवकन्या, गन्धर्वकन्या, राक्षसकन्या, कामरूपिणी, अप्सरा, किन्नरी, सुन्दरी, भूतिनी, चेटिका, योगिनी, नागकन्या आदि की साधना की जाती है।

भूतडामर महातन्त्र देवता, देवी एवं मिश्र नामक तन्त्र की तीन प्रमुख धाराओं में से मिश्र धारा का ग्रन्थ है। इसमें वह समस्त साधनायें वर्णित हैं, जो मिश्र तन्त्र के ग्रन्थों में वर्णित रहती हैं। यह तांत्रिक ग्रन्थ अत्यन्त ही प्राचीन है तथा तन्त्रचूड़ामणि नामक ग्रन्थ के पश्चात् रचित ज्ञात होता है। इस बात का संकेत इसी ग्रन्थ के पन्द्रहवें पटल में प्राप्त होता है।

इस ग्रन्थ में सौन्दर्य-साधनाओं का प्रमुखता से वर्णन किया गया है। ग्रन्थ के सोलह में से ग्यारह पटलों में सौन्दर्य-साधनाओं का वर्णन किया गया है। वास्तव में जैसी सौन्दर्य-साधनायें इस ग्रन्थ में वर्णित हैं, वैसा अन्यत्र मिलना दुर्लभ है। इस ग्रन्थ की समस्त साधनाओं का वर्णन बड़ी ही सुगम एवं सरल व रोचक शैली में हुआ है।

इस भूतडामर महातन्त्र तन्त्र के अतिरिक्त वृहद् भूतडामर तन्त्र, वृहद् सन्धान डामर तन्त्र तथा बौद्ध भूतडामर तन्त्र नामक ग्रन्थ भी प्राप्त होते हैं। हिन्दुओं के अतिरिक्त बौद्धों एवं जैनों के भी तन्त्र ग्रन्थ प्राप्त होते हैं।

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