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Brihadaranyaka Upanishad (बृहदारण्यकोपनिषद्)

252.00

Author -
Publisher Gita Press, Gorakhapur
Language Sanskrit & Hindi
Edition 26th edition
ISBN -
Pages 1376
Cover Hard Cover
Size 14 x 4 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code GP0016
Other Code - 577

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Description

बृहदारण्यकोपनिषद् (Brihadaranyaka Upanishad) इसके नाम (बृहदारण्यक = बृहद् + आरण्यक) का अर्थ ‘बृहद ज्ञान वाला’ या ‘घने जंगलों में लिखा गया’ उपनिषद है। इसमें तत्त्वज्ञान और तदुपयोगी कर्म तथा उपासनाओं का बड़ा ही सुन्दर वर्णन है। बृहदारण्यक उपनिषद् अद्वैत वेदांत और संन्यासनिष्ठा का प्रतिपादक है। बृहदारण्यक उपनिषद् शुक्ल यजुर्वेद से जुड़ा एक उपनिषद है।
यह उपनिषद् यजुर्वेद की काण्वीशाखा में वाजसनेय ब्राह्मण के अन्तर्गत है। कलेवर की दृष्टि से यह समस्त उपनिषदों की अपेक्षा बृहत् है तथा अरण्य (वन) में अध्ययन किये जाने के कारण इसे आरण्यक भी कहते हैं। वार्त्तिककार सुरेश्वराचार्य ने अर्थतः भी इस की बृहत्ता स्वीकार की है।

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