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Brihaspativar Vrat Katha (बृहस्पतिवार व्रत कथा)

15.00

Author -
Publisher Babu Thakur Prasad Books Seller
Language Hindi
Edition 1st edition
ISBN -
Pages 24
Cover Paper Back
Size 21 x 0.5 x 13 (l x w x h)
Weight
Item Code RTP0018
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Description

बृहस्पतिवार व्रत कथा (Brihaspativar Vrat Katha) बृहस्पतिवार का व्रत करने से मनुष्य की सभी कामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस व्रत से देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होकर व्रत-कर्ता को धन, पुत्र तथा विद्या-बुद्धि आदि से सम्पन्न कर उसके सभी मनोरथों को पूर्ण करते हैं। परिवार को सर्वथा सुख-शान्ति मिलती है। गुरु बृहस्पति देवताओं के भी देवता और महान् शक्तिशाली हैं। व्रत करने वाले को विष्णु भगवान् की पूजा करनी चाहिए। जहाँ कहीं मूर्ति स्थापित वहाँ जाकर मूर्ति की पूजन करें और जहाँ न हो वहाँ इनके नियमानुसार तो सर्वत्र पूजा करने योग्य है। केले की जड़ में जल दें। शिर नहीं धोबें, एक ही समय भोजन करें। भोजन में चने की दाल, हलुआ और केला इत्यादि पीला पदार्थ ग्रहण करें। व्रती उस दिन नमक का परित्याग करे। पीले वस्त्र पहने, पीला फल खाये और पीला चन्दन, और पीले फूल से ही उनका पूजन करे। हाथ में चने की दाल, गुड़ और पीला फूल लेकर प्रेम से भगवान् बृहस्पति महाराजकी कथा सुने। मनुष्य पीले वस्त्र में चने की दाल, बतासा और धातुओं में सोना अथवा पीतल लेकर बृहस्पति भगवान् को अर्पण कर पूजा करे, पश्चात् कथा सुने। यह बृहस्पति भगवान् की विधि कही गयी है। मनुष्य पोखराज की अँगूठी धारण करे। इससे भगवान् बृहस्पति उस पर प्रसन्न होते हैं।

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