Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-14%

Chanakya Niti (चाणक्य नीति)

60.00

Author Acharya Dhurandar Pandey
Publisher Bharatiya Vidya Sansthan
Language Hindi
Edition 1st edition, 2008
ISBN 81-87415-79-7
Pages 260
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code BVS0015
Other Dispatched in 1-3 days

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

चाणक्य नीति (Chanakya Niti) नीतिशास्त्र का जीवन में अत्यधिक महत्त्व है। कोई भी व्यक्ति अच्छी नीति का सहारा लेकर कम साधन से ही अच्छी सफलता प्राप्त कर सकता है। नीतिशास्त्र के पक्षधर व रचयिता आचार्य चाणक्य स्वयं कहते हैं कि नीतिशास्त्र का अध्ययन कर श्रेष्ठ व्यक्ति धर्म-अधर्म, योग्य-अयोग्य, लाभ-हानि, पुण्य-अपुण्य से भलीभांति परिचित हो जाता है तथा शुभ-अशुभ का ज्ञाता होकर वह अपने जीवन में अच्छी बातों के सहारे सफल होने में समर्थ हो जाता है। उसे कभी भी पराजय का मुख नहीं देखना पड़ता है। वह हमेशा इन्हीं नीतियों के सहारे चलता हुआ अपनी मंजिल ही नहीं पाता है अपितु यशस्वी होकर अपनी विजयपताका फहराता हुआ सभी के लिए एक आदर्श उपस्थित कर देता है। आचार्य चाणक्यकृत “चाणक्यनीति” राजनीतिशास्त्र का महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसका अध्ययन कर मनुष्य सर्वज्ञ हो जाता है। जैसे कि-

तदहं संप्रवक्ष्यामि लोकानां हितकाम्यया।
येन विज्ञानमात्रेण सर्वज्ञत्वं प्रतिपद्यते ।।

इस ग्रन्थ को पढ़ने का अवसर तो लेखक को विद्या-अध्यवसाय काल में ही हो गया था। इसको पढ़ने के पश्चात् ही मन में यह बात बैठ गई थी कि मैं एक न एक दिन इस पर अपनी कलम चलाऊँगा किन्तु सरस्वती जब चाही तभी यह कार्य सम्पन्न हुआ। आज “सरस्वती” हिन्दी टीका के साथ यह पुस्तक प्रकाशित होकर पाठकों के समक्ष उपस्थित हो गया है। इसमें प्रत्येक श्लोक का हिन्दी अनुवाद तो प्रस्तुत किया गया ही है साथ ही भावपल्लवन नाम से हिन्दी में उन छिपे रहस्यों को भी उद्घाटित करने का प्रयास किया गया है’ जो कि सम-सामयिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसमें स्थान-स्थान पर अनेक उदाहरण भी दे दिये गये हैं भले वे कहानी के रूप में हों अथवा लोकोक्ति अथवा मुहावरे के रूप में हों। भाषाशैली सर्वसाधारण ही रखी गई है ताकि अधिक से अधिक जिज्ञासु पाठक इससे लाभान्वित हो सकें। इस पुस्तक को पढ़कर जितने ही अधिक पाठक लाभान्वित होगें लेखक को उतनी ही आत्मिक संतुष्टि मिलेगी। सबसे अधिक संतुष्टि तो लेखक को तभी मिलेगी जबकि पाठक इसे पढ़कर इसे अपने जीवन में उतारकर अपने जीवन को सफल कर लेगें।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Chanakya Niti (चाणक्य नीति)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×