Chetan Pravah Ke Vyayam Meridian Exercise (चेतन प्रवाह के व्यायाम मेरिडियन एक्सरसाइज)
₹25.00
Author | S.R. Vidvans |
Publisher | Sarv Sewa Sangh Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 4th edition |
ISBN | - |
Pages | 48 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SSSP0060 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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चेतन प्रवाह के व्यायाम (Chetan Pravah Ke Vyayam) हमारे शरीर में जिस प्रकार अस्थि, मज्जा, मांस, पेशी, नसें व इन्द्रियाँ हैं उसी प्रकार चेतनशक्ति भी है जिसे प्राणशक्ति भी कहा जा सकता है। डा० मोटोयामा ने अपने प्रयोगों के द्वारा सिद्ध कर दिया है कि इस तरह की प्राणशक्ति हमारे शरीर में सब जगह खेलती रहती है। वह शारीरिक व आध्यात्मिक जीवन की कड़ी है। जैसे स्नायुओं की इच्छा या अनिच्छा से योग्य व्यायाम दिया जाय तो वे सक्षम व बलवान होंगे, वैसे ही प्राणशक्ति की गति को नियन्त्रित एवं सन्तुलित किया जाय तो मानसिक व शारीरिक दोनों प्रकार के रोग दूर किये जा सकते हैं।
डा० मोटोयामा एक प्रसिद्ध जापानी वैज्ञानिक व योगी हैं। उन्होंने अपनी माताओं की निगरानी में ५ वर्ष की उम्र से योगाभ्यास शुरू किया था। अपनी जवानी में ही उन्होंने षटचक्र भेदन करके प्रत्येक चक्र की जागृति का अनुभव कर लिया था। ईश्वरीय आदेश के अनुसार उन्होंने आधुनिक वैद्यकशास्त्र, सांख्यिकीशास्त्र, भौतिकशास्त्र वगैरह का अध्ययन करने के बाद उन्होंने यह अनुभव किया कि मनुष्य के शरीर में चेतना प्रवाह व चक्रों का अस्तित्व है जिनका बहुत कुछ उपयोग मानव-विकास के लिए किया जा सकता है। इसी तरह उन्होंने सिद्ध भी किया कि भारतीय योग में जिस नाड़ी तथा चीनी मेडिसिन में जिसे मेरिडियन-कारिकेयु-कहते हैं दोनों एक ही हैं। अपनी सिद्धान्त की पुष्टि के लिए उन्होंने एक्यूपंक्चर मेरिडियन व इन्टरनल आर्गन AMI व चक्र CHAKRA ऐसे दो उदाहरण खोज निकाले। AMI की सहायता से रोग का निदान किया जा सकता है। तथा एक्यूपंक्चर या डा० मोटोयामा ने जो प्राणशक्ति संचालन व्यायाम विकसित किया है उसे वे उपचार के रूप में अपनाने को कहते हैं। प्रमुख चेतना प्रवाह व उसके प्रत्येक हिस्से का किसी न किसी अन्तर्गत इन्द्रिय से सम्बन्ध है। इस प्रवाह का उद्गम नाभिस्थान के पास है और मुँह अँगुलियों के सिरे पर है।
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