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Dev Vani Vaibhav (देववाणी वैभव)

110.00

Author Dr. Shri Kapil Dev Divedi
Publisher Vishva Bharati Research Institute
Language Sanskrit Hindi
Edition 1st edition, 2006
ISBN 978-81-85246-48-3
Pages 244
Cover Hard Cover
Size 14 x 1 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VBRI0014
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Description

देववाणी वैभव (Dev Vani Vaibhav) सुधी पाठकों की सेवा में ‘देववाणी-वैभव’ ग्रन्थ प्रस्तुत करते हुए प्रसन्नता है कि विद्वज्जन ने मेरे विविध ग्रन्थों का आदर किया है और उनके द्वारा ज्ञानवर्धन किया है। संस्कृतभाषा की व्यापकता और उसके गूढ तत्त्वों का ज्ञान प्राप्त करना मानव को नवीन चेतना और स्फूर्ति देता है। संस्कृत साहित्य में आचार-शिक्षा, नीतिशिक्षा, अध्यात्म और विज्ञान पग-पग पर भरा हुआ है। उसी का इस ग्रन्थ में सिंहावलोकन है। इनमें से अधिकांश निबन्ध आकाशवाणी द्वारा विभिन्न अवसरों पर प्रसारित किए गए हैं।

कुछ निबन्ध प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं और कुछ निबन्ध विभिन्न संमेलनों आदि में पढ़े गए हैं। ज्ञान-वर्धन की दृष्टि से इनकी विशेष उपयोगिता है। इनमें विशिष्ट निबन्ध वैदिक साहित्य से संबद्ध हैं। जैसे वेदों में विज्ञान, पर्यावरण, सूर्यकिरण-चिकित्सा, मानवीय तत्त्व, समाज, नारी, शिक्षा-दर्शन, गणित आदि। कुछ निबन्ध संस्कृत साहित्य से संबद्ध हैं। जैसे- संस्कृत में रूपक साहित्य, स्तोत्र साहित्य, रस-सिद्धान्त, सुभाषित-ग्रन्थ, ऐतिहासिक काव्य आदि। कुछ निबन्ध दार्शनिक भी हैं। जैसे- प्रमाण-चतुष्टय, अद्वैतदर्शन और दयानन्द-दर्शन, योगः कर्मसु कौशलम् आदि। आशा है यह ग्रन्थ सुधी पाठकों का आदर प्राप्त करेगा। पुस्तक के विषय में संशोधन, परिवर्धन आदि के विचार सहर्ष स्वीकार किए जाएंगे।

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