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Dronacharya (द्रोणाचार्य)

42.00

Author Dr. Shri Bhagwan Tiwari
Publisher Bharatiya Vidya Sansthan
Language Hindi
Edition 1st edition, 2011
ISBN -
Pages 196
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code BVS0018
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Description

द्रोणाचार्य (Dronacharya) महाभारत सामाजिक व्यूहों-प्रतिव्यूहों की अनन्त त्रासद गाथा है। यह महाकाव्य युद्धकामी मानवों का दुर्घर्ष वाद्य-निर्घोष है। सत्तालिप्सा महाभारत प्रारम्भ होने का मूल कारण है। राज्य-प्राप्ति इसका केन्द्र बिन्दु है। राज्य-सत्ता शांति प्रदायिनी एवं अहिंसक नहीं अपितु क्रूर, अन्यायी एवं अत्याचारी होती है। वह भूलकर भी प्रज्ञापुरुष, विवेकी, कुलगुरु तथा असहाय पर रहम नहीं करती।

अपनी मनोकामना की प्राप्ति एवं अहं के सामने वह गुरु को भी छल-कपट करने, बेईमान बनाने तथा जघन्य कर्म करने के लिए विवश कर देती है। महाभारत काल में निरंकुश सत्ता ने द्रोणाचार्य जैसे प्रख्यात धनुर्धर एरां शस्त्रास्त्र विशेषज्ञ ब्राह्मण को मानवीय गरिमा, मूल्यों, सिद्धान्तों एवं अध्यापकीय करुणा को त्यागने के लिए लाचार कर दिया। ‘द्रोणाचार्य’ नामक इस उपन्यास में द्रोणाचार्य की दयनीय दशा, विवशता, अपमान एवं अवज्ञा आदि के अनेक यथार्थ एवं मार्मिक बिम्ब संयोजित हैं।

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