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Guru Nanak Dev (गुरु नानक देव)

90.00

Author Dr. Manmohan Sahagal
Publisher Uttar Pradesh Hindi Sansthan
Language Hindi
Edition 1st edition, 2009
ISBN 978-81-89989-28-6
Pages 177
Cover Paper Back
Size 14 x 1 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code UPHS0009
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Description

गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) मध्यकालीन भारत में भक्ति आन्दोलन के कर्णधारों में गुरु नानकदेव का आगमन केवल एक प्रमुख सन्त के रूप में ही नहीं हुआ था, वरन् वे अपनी सहज विचारधारा और नव-चिन्तन के बल पर देश में एक अलग मानववादी पंच खड़ा करने वाले महापुरुष भी कहलाए। पंजाब की धरती से मानवता की जो आवाज़ उठी, उसने एक और तत्कालीन मुस्लिम बादशाह और नवाबों की ऐय्याशी और जन-साधारण के अमानवीय शोषण को चुनौती दी, तो दूसरी ओर पतनोन्मुखी मानवीय संवेदनाओं को पुनर्सजग करने के भरपूर प्रयास किए। गुरुदेव ने सहज विवेक से, जन पर होने वाले सामाजिक, प्रशासकीय एवं सजातीय अत्याचारों के विराध में शंखनाद किया और अपनी-अपनी जातीय सीमाओं के कष्ट में पनपती आम आदमी की जिंदगी को सहज-सरल बनाने एवं उन्हें परम शक्ति के संरक्षण का विश्वास दिलाने का महत् कर्म किया। जिज्ञासुओं को अध्यात्म के धरातल पर सत्य का पथ प्रदान किया, और श्रद्धालुओं को सत्याचरण का संदेश देकर प्रभु की शरण में समर्पित होने को प्रोत्साहित किया। गुरुदेव ने नये पंथ का बीज बोया और धीरे-धीरे पनपता हुआ वह एक विश्वव्यापी और सशक्त मानवीय स्वर बना।

ऐसे महामानव का जीवन, उनसे सम्बद्ध घटनाएं, उनके सार्थक कर्म, लोक-चेतना को जगाने वाली लम्बी यात्राएं, विनम्र और सुदृढ़ व्यक्तित्व, जिसके सजग और सुविज्ञ तर्कों से अनगिनत विकट स्थितियों का सुलझना, इन सबसे ऊपर उनका आत्मानुभूत ‘सत्य’ जिसने आध्यात्मिकता की परिभाषा को कर्मकाण्ड की कारा से निकालकर जीवात्मा के अनुभूत यथार्थ की सुखद संवेदना में स्थापित किया-आदि तथ्य, भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरक अनुकरणीय और सदैव उत्साह वर्द्धक हैं। वर्तमान को उस अतीत का दर्शन करवाने, सत्पथ की प्रेरणा देने और गुरु के वास्तविक मिशन को जन-जन तक पहुँचाने की सहज श्रृंखला में एक कड़ी के रूप में प्रस्तुत है यह लघु पुस्तक।

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