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Jyotish Sar (ज्योतिषसार)

144.00

Author Pt. Keshav Prasad Sharma Diwedi
Publisher Khemraj Sri Krishna Das Prakashan, Bombay
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2018
ISBN -
Pages 180
Cover Paper Back
Size 16 x 1 x 23 (l x w x h)
Weight
Item Code KH0016
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Description

ज्योतिषसार (Jyotish Sar) समस्त ज्योतिषी पंडितोंसे तथा ज्योतिषके विद्यार्थियोंसे सविनय निवेदन करता हूं कि, अहो समस्त विद्वज्जन ! तथा विद्यार्थिज्जन !! मनुष्यमात्रकी प्रवृत्ति केवल सुख- प्राप्तिके लिये ही होती है। मुखपदका अर्थ मनका सन्तोष कहलाता है, मनका सन्तोष शारी- रिक क्रियाके आश्रयसे रहता है। प्रत्यक्ष जिसका फल दीखनेमें आता है ऐसा ज्योति शास्त्र सबसे अधिक शारीरिक सुखदायक होनेसे सर्वजनसंमान्य है। यह सर्वत्र प्रसिद्ध है।

ज्योतिःशास्त्र चार लक्ष ग्रंथ होनेसे सांप्रतकालके अल्पायुषी मंदबुद्धि मनुष्योंके पढ़नेमें अशक्य है। इससे कोई पढ़ता नहीं है। समग्र शास्त्र न पढ़नेसे उस शास्त्रमें कहा हुआ सर्व पदार्थका ज्ञान भी नहीं होता है। जिससे मनुष्योंको कौनसे कार्य करनेमें कौनसा योग्य उपयोगी होता है यह ज्ञान होना दुर्लभ है। इसलिये सर्वजनोपकारक पंडितवयं श्रीशुकदेव- जीने यह सर्व ज्योतिषशास्त्रका सार लेकर ज्योतिपसार ऐसा अन्वर्थनामक ग्रंथ निर्माण किया है। इस ग्रंथका आबालवृद्ध सर्वलोगोंके उपयोगी होनेके लिये आगरा कालेज संस्कृता- ध्यापक पंडितवय केशवप्रसादजीने इसके ऊपर सरल हिंदी भाषाटीका बनाकर छपवाई थी अब वही ग्रंथ उन्होंने मुझको सब रजिष्टरी हक्कके साथ अपनी सौजन्यतासे दिया है। वह मैंने अपने मित्र राधाकृष्णमिश्रजीसे अधिक कोष्ठक और शोध तथा अन्य-अन्य अनेक ग्रंथोंके वचन वगैरह भीतर मिलाकर बहुतही वढ़वाकर अपने लक्ष्मीवेंकटश्वर छापखानेमें छापकर प्रसिद्ध किया है। अब में सर्वज्योतिःशास्त्रानुरागियोंसे सविनय प्रार्थना करता हूं कि यह ज्योतिषसार पुस्तक पहलेकी अपेक्षा बहुतही बढ़ गया तो भी विद्वानोंकी सेवामे पूर्ववत् स्वल्पही मूल्यसे रवाना होता है, इसलिये ग्राहकजन इस अपूर्वग्रंथके संग्रहमें त्वरा करके सांसारिक सुखानुभव करेंगे।

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