Kavya Mimansa (काव्यमीमांसा काव्यरहस्य 1-5 अध्याय)
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Author | Dr. Ramanand Sharma |
Publisher | Chaukhambha Sanskrit Series Office |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2023 |
ISBN | - |
Pages | 99 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0491 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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काव्यमीमांसा काव्यरहस्य 1-5 अध्याय (Kavya Mimansa) यह काव्यशास्त्र और प्रमुखतः कविशिक्षा से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है, जिससे राजशेखर को साहित्यिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई है। कृति अपूर्ण ही रह गयी है, कदाचित् कवि की जराजर्जर काया उनके चिन्तनप्रवाह को पूर्णता नहीं दे सकी। इसका प्रथम प्रकाशन सन् १९१६ ई. में हुआ था।
कविशिक्षा का यह प्रथम उपलब्ध ग्रन्थ है। यह अपूर्ण रह गया अथवा अपूर्ण उपलब्ध हुआ है- यह निश्चयतः नहीं कहा जा सकता, लेकिन सम्भावना प्रथम की ही अधिक है। ऐसे अनेक ग्रन्थ हैं, जिनकी प्रस्तावना से कवि के सङ्कल्पों का पता चलता है, लेकिन रचयिता उन्हें पूर्ण नहीं कर पाये। पण्डितराज जगन्नाथ रचित ‘रसगङ्गाधर’ भी ऐसा ही प्रौढ़ एवं व्युत्पन्न ग्रन्य है। गंगाधर = पञ्चानन शिव, रस रूपी गङ्गा को धारण करने वाला शिव रूप ग्रन्थ, लेकिन रचयिता इसका द्वितीय आनन भी पूर्ण नहीं कर पाया। बहुत सम्भव है, राजशेखर की ‘काव्यमीमांसा’ की भी यही स्थिति रही हो, सम्भावना इसी की अधिक है।
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