Khrist Dharma Saar (ख्रिस्त-धर्म-सार)
₹50.00
Author | Vinoba |
Publisher | Sarva Sewa Sangh Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 7th edition |
ISBN | - |
Pages | 146 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SSSP0038 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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CompareDescription
ख्रिस्त धर्म सार (Khrist Dharma Saar) गोस्वामी तुलसीदास ने रामायण में कहा है :
जड़-चेतन गुण-दोषमय, विश्व कीन्ह करतार। सन्त हंस गुण गर्हाह पय, परिहरि वारि विकार।।
विनोबाजी ने इसी दृष्टि से गीता, भागवत, धम्मपद, जपुजी, कुरान आदि धर्म-ग्रन्थों का नवनीत निकालने का जो स्तुत्य प्रयत्न किया है, उसके पीछे उनकी एक ही धारणा रही है और वह है, दिलों को जोड़ने की। प्रस्तुत खिस्त-धर्म-सार इसी योजना की एक मनोरम कड़ी है। विनोबा ने बाइबिल के ‘न्यू टेस्टामेण्ट’ का यहाँ पर सार-सर्वस्व प्रस्तुत किया है।
इस पुस्तक का हिन्दी संस्करण तैयार करने में बाइबिल के मूल ग्रीक भाषा से किये गये अंग्रेजी, हिन्दी और मराठी अनुवादों को सामने रखा गया है। जहाँ कहीं इन अनुवादों में कुछ शंका और सन्देह जान पड़ा, वहाँ स्वतन्त्र बुद्धि का भी उपयोग किया गया है। हिन्दी संस्करण प्रस्तुत करने में अधिकतम सहायता प्रदान करने के लिए हम श्री अच्युतभाई देशपांडे के अत्यन्त आभारी है। पुस्तक के आरम्भ में विनोबा ने संस्कृत श्लोकों में ‘ग्रन्थ-सूत्रम्’ दे दिया है, जिससे पाठकों को ग्रन्थ की मूल बातें कंठस्थ करने में सुविधा होगी। प्रस्तुत पुस्तक से राष्ट्र की भावनात्मक एकता को बल मिलेगा, ऐसी आशा है।
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