Madhya Yugin Bharatiya Samaj Evam Sanskriti (मध्ययुगीन भारतीय समाज एवं संस्कृति)
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Author | Dr. Jhankhande Chaubey & Dr. Kanhaiya Lal Srivastav |
Publisher | Uttar Pradesh Hindi Sansthan |
Language | Hindi |
Edition | 6th edition, 2015 |
ISBN | 978-93-82175-58-2 |
Pages | 720 |
Cover | Paper Back |
Size | 13 x 4 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | UPHS0030 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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मध्ययुगीन भारतीय समाज एवं संस्कृति (Madhya Yugin Bharatiya Samaj Evam Sanskriti) भारतीय समाज और संस्कृति की महान परम्परा में मध्ययुग ने आधुनिक समाज की नींव डाली। आज की गंगा-जमुनी संस्कृति के विकास में इस युग में सर्वाधिक योगदान दिया। यह सही है कि प्रारम्भ में विभिन्न संस्कृतियों में टकराव भी हुए पर जल्दी ही उन्हें यह समझते देर न लगी कि शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। एक दूसरे के सहयोग से जीवन और समाज को कहीं अधिक पूर्ण और सफल बनाया जा सकता है। सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री डॉ. झारखण्डे चौबे और डॉ. कन्हैयालाल श्रीवास्तव की पुस्तक मध्ययुगीन भारतीय समाज एवं संस्कृति इस विविधतापूर्ण, सकारात्मक और व्यापक सहयोग का अत्यन्त सफलतापूर्वक विवरण प्रस्तुत करती है, प्रभावित करती है।
यह पुस्तक ‘मध्ययुगीन भारतीय समाज एवं संस्कृति’ 14 अध्यायों में विभक्त है। यह हैं-समाज का स्वरूप, स्त्रियों की स्थिति, अभिजात वर्ग, उलेमा एवं दासप्रथा, मुस्लिम प्रशासन में हिन्दुओं की स्थिति, भक्ति आन्दोलन, सूफीवाद, आर्थिक जीवन, शिक्षा, साहित्य, सल्तनतकालीन स्थापत्य कला, मुगलकालीन स्थापत्यकला. चित्रकला एवं संगीत तथा अन्य सांस्कृतिक विशेषताएं। पुस्तक के अन्त में सन्दर्भित ग्रन्थों की सूची देकर विद्वान लेखक द्वय को पुस्तक को और अधिक प्रामाणिक बनाने में सफलता मिली है। इनकी सारगर्भित जानकारियाँ, विवरण और निष्कर्ष पहली ही दृष्टि में पाठक को प्रभावित करते हैं। ‘मध्ययुगीन भारतीय समाज और संस्कृति’ पुस्तक के निमित्त लेखक द्वय के प्रति उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान कृतज्ञ है।
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