Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.

Mahabharat (महाभारत)

600.00

Author Shri Pt. Shailendra Kumar Ji
Publisher Khemraj Sri Krishna Das Prakashan, Bombay
Language Hindi
Edition 2015
ISBN -
Pages 904
Cover Hard Cover
Size 17 x 4 x 24 (l x w x h)
Weight
Item Code KH0036
Other Dispatched in 1-3 days

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

महाभारत (Mahabharat)  यह आजकी भेंट जगत्प्रसिद्ध अष्टसिद्धि नवनिधिकी खान ‘महाभारत’ इतिहास है, जिसका घनिष्ट सम्बन्ध हमारे देशकी उन्नति और अवनतिसे है। भारतवर्ष संसारमें आदर्शरूप है इसका सौभाग्य और दुर्भाग्य अलौकिक ही है, यहांका धर्मभाव भी अलौकिक है। सम्पूर्ण विद्वानोंका इस विषयमें एक मत है कि इतिहासकी शिक्षाप्र ही देशकी उन्नति और अवनति निर्भर है, यदि समयानुसार अच्छे और सच्चे इतिहास देशवासियोंको पढ़ने और सुननेको मिले तो उनका प्रभाव देशपर अच्छा और सच्चा होता है।

इसमें समस्त महाभारतकी मार्मिक कथाओंका पूर्णतया समावेश सरल छन्दोबद्ध भाषार्म किया गया है। यदि द्वापरके अन्त और कलियुग के प्रारम्भ काल का कोई इतिहास मिलता है, तो वह महाभारत हीं है। कि जिसको आज ५५७५ पांच हजार पांच सौ पिछत्तर वर्ष होते हैं। इस ग्रंथके पढ़नेसे आपके पक्षमें आमके आम और गुठलियोंके दामवाली कहावत पूर्णतया चारतार्थ होगी। अर्थात् कविताका आनन्द मिलने के अतिरिक्त मुरलीमनोहर भगवान् श्रीकृष्ण के चरणारविन्दमें दृढ भक्ति भी होगी। यह परम पवित्र महान् ग्रन्थ भगवान् श्री वेदव्यास जी महाराजकी लेखनीसे सवा लक्ष श्लोकोंमें प्रसव हुआ था।

यह बृहद् ग्रन्थ संस्कृतमें होनेके कारण सर्व साधारणके उपयोग में नहीं आता था, अस्तु इस कमीकी पूर्तिके निमित्तही यह सरल छन्दोबद्ध महाभारत अठारहोपर्व युक्त खण्डवा निवासी धर्मालंकार कविरत्न श्रीमान् पं० शैलेन्द्रकुमारजी वाजपेयी। H. S. B. कीर्तन-कलानिधिकी सुललित तथा चित्ताकर्षक ओजस्विनी लेखनीसे लिखा गया है, इसमें कौरव-पाण्डव सम्बन्धी संपूर्ण कथायें विद्यमान हैं। इसकी भाषा भी बहुत ही सरल तथा मनोहर रखी गई है, साथही स्थान स्थानपर ललित गायनोंका सुन्दर तथा भव्य समावेश किया गया है। यथासम्भव इसमें महाभारतकी किसी कथाको भी नहीं छोड़ा गया है। यह बात आपको ग्रन्थावलोकनसे स्वयं विदित हो जायगी। इस प्रकारका यह “छन्दोबद्ध” महाभारत रोचक ललित और वीर रस प्रधान अद्वितीय ग्रन्थ उक्त कविकी लेखनीसे लिखा गयाहै, कि जिसके पढ़नेसे हृदयमें वीरता का सागर उमड़ता चला आता है और हाथमें उठाये पीछे बिना समाप्त किये छोड़नेको चित्त नहीं चाहता। सचमुच इस ग्रन्थमें जो भाव खींचा है। वह प्रशंसनीय और अलौकिक है। इसको पढ़नेसे कवित्वशक्तिकी प्रशंसा किये बिना आप भी नहीं रह सकेंगे।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Mahabharat (महाभारत)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×