Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-11%

Manas Piyush Set Of 7 Vols. (मानष पियूष सात भागों में)

Original price was: ₹2,800.00.Current price is: ₹2,500.00.

Author -
Publisher Gita Press, Gorakhapur
Language Hindi
Edition 20th edition
ISBN -
Pages 6523
Cover Hard Cover
Size 19 x 28 x 27 (l x w x h)
Weight
Item Code GP0144
Other Code - 87, 88, 89, 90, 91, 92, 93

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

मानष पियूष सात भागों में (Manas Piyush Set Of 7 Vols.) गोस्वामी श्री तुलसीदास कृत रामचरितमानस हिंदी भाषाकी विलक्षण रचना है। इसकी गरिमा और श्रेष्ठताके विषयमें कुछ कहना सूरजको दीपक दिखाने जैसा है। रामचरितमानस एक काव्यग्रंथ है-ऐसा काव्य जिसकी टक्करका अन्य काव्यग्रंथ विश्व साहित्यमें है कि नहीं कहना कठिन है। रामचरितमानस एक धर्मग्रंथ है जिसमें हिंदू समाजके लिये धर्मका सूक्ष्मनिरूपण और विस्तृत विवेचन तो है ही यदि कोई विश्व-मानवकी अवधारणा संभव हो तो उस विश्वमानबके लिये आचरणीय धर्मकी पर्याप्त व्याख्या है। रामचरितमानस एक पारायणग्रंथ है जिसके पारायणसे कोटि-कोटि लोग आध्यात्मिक लाभ उठाते हैं। रामचरितमानस हिंदू धर्म और हिंदू समाजिकताकी एनसाइक्लोपीडिया है। रामचरितमानस कालकी सीमा तो पहले ही लाँच चुका था अब भौगोलिक सीमा भी लाँधकर योरोप, अमेरिका जैसे दूरवर्ती देशोंमें समादर प्राप्त कर रहा है। रामचरितमानसमें निगमोंकी नैगमिकता, पुराणोंकी पौराणिकता, अध्यात्मरामायणकी भक्ति, योगवासिष्ठका दर्शन, महाभारतका पराक्रम और वाल्मीकिका दिव्यमानवके मानवीय जीवनके उतार-चढ़ावका सम्यक् समावेश है।

स्वाभाविक है कि ऐसे ग्रंथ रत्नपर टीकाओं और तिलकोंकी रचना होगी। उसी दिशामें साकेतवासी महात्मा श्रीअंजनीनन्दनशरणजीका मानस पीयूष एक अभिनन्दनीय तिलक (विस्तृत टीका) है। जीवनभरकी सतत साधना और स्वाध्याय, अन्य महात्माओं, विद्वानों तथा साधकोंका सत्संग, अयोध्यावास, सरयू-स्नान, रामभक्ति- इन सभी तत्त्वोंका एकत्रीभूत फल है ‘मानस-पीयूष’। इसके प्रणयनमें टीकाकारने समस्त उपलब्ध सामग्रीका समुचित और सविवेक प्रयोग किया है साथ ही शब्दोंके अपव्ययसे बचते रहे हैं। टीकाकी शैली कथावाचकोंकी है। अतः कथाकी विस्तृत व्याख्या स्वाभाविक है। कथाशिल्प या काव्य सौष्ठव जैसे विंदु स्वभावतः चिंतन-परिधिसे बाहर रह गये हैं। रामभक्तिकी व्याख्या और उसका प्रचार-प्रसार टीकाका मूल उद्देश्य रहा है। उसमें टीकाकार पूर्णरूपसे सफल हुए हैं।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Manas Piyush Set Of 7 Vols. (मानष पियूष सात भागों में)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×