Manasollasa Set of 5 Vols. (मानसोल्लास: 5 भागों में)
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Author | Dr. Shri Krishna 'Jugnu' |
Publisher | Chaukhamba Sanskrit Series Office |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2019 |
ISBN | 978-81-7080-522-9 |
Pages | 1464 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0082 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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मानसोल्लास: 5 भागों में (Manasollasa Set of 5 Vols.) इस ग्रन्थ में भारतीय ज्ञान-विज्ञान के अधिकांश ग्रन्थों का सार संक्षेप ग्रहण किया गया है। क्या वेद और क्या उपवेद, आयुर्वेद और उसकी अनेक शाखाओं- मानव आयुर्वेद, हस्त्यायुर्वेद, अश्वायुर्वेद, रसायन और उसके साधना पक्ष, मुद्रा शास्त्र, धातु और खनिज शास्त्र, रत्नशास्त्र, कामशास्त्र, काव्यशास्त्र, नाट्यशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र, अंगविद्याशास्त्र, संहिता, खगोलशास्त्र, स्थापत्य शास्त्र, मूर्तिशास्त्र, संगीत शास्त्र, मृगयाशास्त्र, पाकशास्त्र और भी अनेक ज्ञानानुशासनों का सम्यक् सार लेकर लोक मान्यताओं के परीक्षित पक्ष को इस तरह संजोया गया है कि भारतीय विवेक पर आत्मगौरव की अनुभूति होती है। स्वयं ग्रन्थकार ने अनेक स्थानों पर पूर्ववर्ती मतों और ग्रन्थों का ऋणस्वीकार किया है- विश्वकर्ममतेनापि मयशास्त्रानुसारतः । मत्स्यप्रोक्तविधानेन पिङ्गलामतमानतः ॥ (विंशति 1, 11, 76)
यह ग्रन्थ पांच प्रकरणों में हैं। इन पांच प्रकरणों में पांच विंशतियां हैं। विंशतियां अर्थात् 20-20 अध्यायों का एक-एक प्रकरण। इस प्रकार इसमें सौ अध्याय लिखे गए हैं, उपमा के रूप में सोमेश्वर ने इसको सौ शाखाओं वाला कल्पवृक्ष भी कहा है- अध्यायशतकं त्वेवं पञ्च प्रकरणानि च ॥ विस्तृतं शतशाखाभिर्वक्ष्ये कल्पद्रुमोपमम् ।। इन सब विंशतियों का वर्णन ग्रन्थारम्भ में ही दिया गया है।
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