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Mirabai (मीराबाई)

25.00

Author Kartik Prasad Kshatri
Publisher Pilgrims Publication
Language Hindi
Edition 2005
ISBN 81-7769-273-9
Pages 25
Cover Paper Back
Size 10 x 1 x 15 (l x w x h)
Weight
Item Code PGP0035
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Description

मीराबाई (Mirabai)

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई, जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।

भक्तिमार्ग की अटूट श्रृंखला में ‘मीरा’ का नाम सम्पूर्णता का प्रतीक बिंदू है। उनका जीवन चरित्र इस तथ्य का सशक्त प्रमाण है कि परमेश्वर के सानिध्य में ही परमानंद सम्भव है। श्रीकृष्ण प्रेम और करुणा के सागर हैं। वे दुःख में और सुख में भी हैं।

परमेश्वर के श्रीचरणों का सानिध्य पाना ही सभी मानव का प्रथम और अंतिम लक्ष्य है। यह लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब प्रेम, करुणा के सागर श्रीकृष्ण की तरह ही प्रेममय हो जायें, जो भक्तिमार्ग से ही संभव है। श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाने के बाद वे स्वयं भक्त के रक्षार्थ तत्पर रहते हैं। वर्तमान समय के भौतिकवादी तनाव से मुक्ति एकमात्र भक्तिमार्ग से ही संभव है।

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