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Prakritik Aahar Dwara Nisargopchar (प्राकृतिक आहार द्वारा निसर्गोपचार)

106.00

Author Dr. Krishna Kant Pandey
Publisher Chaukhamba Sanskrit Series Office
Language Hindi
Edition 1st edition, 2008
ISBN 978-81-218-0253-9
Pages 230
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0015
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Description

प्राकृतिक आहार द्वारा निसर्गोपचार (Prakritik Aahar Dwara Nisargopchar) निसर्गोपचार या प्राकृतिक चिकित्सा से क्या अभिप्राय है ? यह जानने से पूर्व सर्वप्रथम यह समझना आवश्यक है कि प्रकृति किसे कहते हैं ? उसका दार्शनिक पक्ष क्या है ? इसके कौन-कौन से भेद हैं? इनके स्वाभाविक गुणधर्म क्या है? आदि।

व्यवहार में प्रकृति शब्द का उल्लेख अनेक सन्दर्भों में किया जाता है, जैसे – देश-प्रकृति, काल-प्रकृति, देह-प्रकृति, मानस-प्रकृति आदि। दोषज प्रकृति भी देह-प्रकृति का ही एक भेद है। आचार्यों ने दोषसाम्य की अवस्था को भी प्रकृति कहा है। अतः रोगी-परीक्षा करते समय व्यक्ति की प्रकृति परीक्षा (प्रकृतितः परीक्ष्येत) करनी चाहिए। सामान्यतः ईश्वरीय प्रदत्त या स्वतः उद्‌भूत द्रव्यों अथवा प्राकृतिक देन को ही प्रकृति’ समझा जाता है, जिसे आम बोलचाल में ‘नेचर – nature’ कहते हैं। दार्शनिक दृष्टि से सांख्य दर्शन के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति एवं विकासक्रम (stage of evolution) में प्रकृति ही जनक भाव है, जो सभी का कारण है, परन्तु स्वयं किसी अन्य का कार्य नहीं है, अतः इसे आदि-प्रकृति या मूल-प्रकृति (Almighty nature) कहना सर्वथा उपयुक्त होगा। यही मूलप्रकृति भौतिक जगत के समस्त भावों का कारण है। संसार में सेन्द्रिय एवं निरेन्द्रिय जितने भी पदार्थ (व्यक्त भाव) देखे जाते हैं, उन संबकी उत्पत्ति में आरम्भिक कारण एकमात्र प्रकृति ही है। वेदों में इसे पराप्रकृति कहा गया है. और परा का अर्थ होता है श्रेष्ठ। अतः यह श्रेष्ठतम आदिप्रकृति है। ब्रह्माण्ड में विद्यमान जीव-जन्तु, पेड़-पौधे, पहाङ-नदियों आदि पदार्थ भूत-द्रव्य हैं, और ये सभी कार्य-द्रव्य की श्रेणी में आते हैं। कार्य-कारण सम्बन्ध की दृष्टि से तथा कारण और कार्य में अभेद होने से मूलप्रकृति एवं तद्द्धनित सांसारिक मायारूप भौतिक प्रकृति को एक ही मान लिया गया है, अन्यथा मूलप्रकृति कारण भाव है, जबकि भौतिक प्रकृति कार्यभाव या भूतद्रव्य है, जिसे अपरा-प्रकृति भी कहा गया है। अतः सर्वप्रथम प्रकृति के दो भेद किये जा सकते हैं –

(अ) मूल-प्रकृति (Almighty nature)

(आ) भौतिक-प्रकृति (Materialistic nature)

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