Prabandha Chintamani Ka Aetihasik Vivechan (प्रबन्ध चिन्तामणि का ऐतिहासिक विवेचन)
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Author | Vishwanath Bharadwaj |
Publisher | The Bharatiya Vidya Prakshan |
Language | Hindi |
Edition | 1st edition, 2022 |
ISBN | 978-93-91512-68-2 |
Pages | 224 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 1.5 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0100 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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प्रबन्ध चिन्तामणि का ऐतिहासिक विवेचन (Prabandha Chintamani Ka Aetihasik Vivechan) १३०५ ई० में जैनाचार्य मेरुतुङ्ग विरचित प्रबन्धचिन्तामणि जैनों द्वारा प्रणीत प्रधान प्रबन्धों का प्रतिनिधित्व करती है। इसमें पूर्व मध्यकालीन भारत के प्रमुख राजवंशीय इतिहास के अनेक पक्षों पर दुर्लभ ऐतिहासिक अध्ययन सामग्रियाँ संकलित है। उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ए. के. फोर्ब्स, ब्युलर, जैकोबी, पीटर्सन, सीवेल जैसे विद्वानों ने प्रबन्धचिन्तामणि की महत्ता को स्वीकारा है। सर आर.जी. भण्डारकर, विजयधर्म सूरि, मुनि जिनविजय, भगवानलाल इन्द्रजी, प्रो. कापड़िया, डॉ० हीरालाल जैन प्रभृति भारतीय विद्वानों ने भी इसके संग्रह, सम्पादन और मूल्यांकन के प्रभूत प्रयास किये हैं।
प्रस्तुत ग्रन्थ को पर्याप्त ऐतिहासिक स्रोतों, साक्ष्यों, तथ्यों और टिप्पणियों से सुशोभित करते हुए एक नवीन आयाम दिया गया है। जिसमें सातवाहन, दुर्लभराज, महमूद गजनी, जयसिंह सिद्धराज, कुमारपाल, मुञ्ज, सिन्धुराज, वस्तुपाल-तेजपाल, पृथ्वीराज चौहान आदि जैसे शासकों के इतिवृत्त भी ग्रन्थ श्रेष्ठता को दुगणित कर देते हैं जिससे मेरुतुंग के इतिहास-लेखन के अभीष्ट की पूर्ति होती है। ग्रन्थ में अति बहुमूल्य ऐतिहासिक विमर्श में जैन प्रबन्ध, चरित, उनका रचनाकाल, चापोत्कट, चालुक्य, परमार और बघेल राजवंशों, राज्य- प्रशासन, अन्तर्राज्य सम्बन्ध, मेरुतुंग की जीवनी, धर्म, इतिहास-दर्शन तथा विशद् वर्गीकृत सन्दर्भ ग्रन्थ सूची सहित दुर्लभ सामग्रियों से यह ग्रन्थ सराबोर है।
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