Prachin Bharatiya Kala Me Manglik Pratik (प्राचीन भारतीय कला मे मांगलिक प्रतीक)
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Author | Dr. Vimalmohini Shirvastva |
Publisher | Vishwavidyalay Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2002 |
ISBN | 81-7124-303-4 |
Pages | 152 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VVP0103 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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प्राचीन भारतीय कला मे मांगलिक प्रतीक (Prachin Bharatiya Kala Me Manglik Pratik) कला और साहित्य दोनों हो जोवन से अभिरूप से जुड़े हुए हैं। साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है तथा कला भी समाज को प्रतिबिम्बित करती है। कला संस्कृति की यथार्थ को प्रस्तुति ही नहीं वरन् यह संस्कृति के आदर्श की सबसे प्रबल और सजोव अभिव्यक्ति भी है। संस्कृति के मूल तत्वों को कला और साहित्य दोनों हो हृदयस्पर्शी रूप में व्यक्त करते हैं। साथ ही दोनों कुछ बिम्बों और प्रतीकों का सहारा लेते हैं। साहित्य को तुलना में कला में इन बिम्बों, प्रतीकों की भूमिका अधिक प्रभावोत्पादक है। भारतीय कला की विशेषता उसके बिम्ब व प्रतीक ही हैं. इसकी परम्परा और संस्कृति को सही पहचान के लिये इनका अध्ययन आवश्यक है। भारतीय कला के बिदेशी अध्येताओं ने कला का सतही विश्लेषण करके अपने कार्य को इतिश्री मान ली। यहीं कारण है कि वे भारतीय कला के साथ न्याय नहीं कर सके।
भारत में इस प्रकार के अध्ययन का श्रीगणेश डॉ० कुमार स्वामी, डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल के नामों से जुड़ा है। डॉ० विमलमोहिनी ने गहन अध्ययन और मनन के द्वारा अपने शोध प्रवन्ध ‘प्राचीन भारतीय कला के कतिपय मांगलिक प्रतीक’ को सम्पादित किया है। यह इस विषय पर पहली क्रमबद्ध विश्लेषणात्मक प्रस्तुति मानी गई है। मैं आशा करता हूँ कि यह ग्रन्थ भारतीय कला के जिज्ञासुओं एवम् मर्मज्ञों दोनों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
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