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Prashna Vidya (प्रश्न विद्या)

Original price was: ₹80.00.Current price is: ₹75.00.

Author Dr. Suresh Chandra Mishra
Publisher Ranjan Publication
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition, 2016
ISBN -
Pages 156
Cover Paper Back
Size 14 x 1 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code RP0029
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Description

प्रश्न विद्या (Prashna Vidya) बादरायणकृत यह ‘प्रश्न-विद्या’ क्षमा व्याख्या से संवलित होकर आपके समक्ष है। ज्योतिष जगत् में बादरायण संहिता प्रसिद्ध है। उसी का एक अध्याय प्रस्तुत ‘प्रश्नविद्या’ है क्योंकि इसके संस्कृत विवरण में भट्टोत्पल ने ऐसा ही लिखा है-

‘इत्याचार्यों बादरायणः स्वसंहितायामेकमध्यायं लोकानुग्रहार्थं
चिकीर्षुस्तत्रादावेव तत्प्रयोजनप्रदर्शनार्थमाह-।’

बादरायण का समय वराहमिहिर से पूर्व ही प्रतीत होता है। लघुजातक में वराहमिहिर ने बादरायण के कई श्लोकों को यथावत् ले लिया है और बृहत्संहिता के अध्याय 40.1 में बादरायण प्रोक्त कुछ नियमों का विवेचन वराहमिहिर ने नामोल्लेखपूर्वक किया है-

‘वृश्चिकवृषप्रवेशे भानोयें बादरायणेनोक्ताः। ग्रीष्मशरत्सस्यानां सदसद्योगाः कृतास्त इमे॥’

इस आधार पर बादरायण निश्चय से ही वराहमिहिर के पूर्ववतीं सिद्ध होते हैं और इन्हें सन् 500 ई. के पहले मानने में कोई बाधा नहीं दिखती। भट्टोत्पल के समय में बादरायण संहिता या बादरायणकृत कोई अन्य जातक ग्रन्थ अवश्य ही उपलब्ध रहा होगा, क्योंकि बृहज्जातक भट्टोत्पली में बहुत से श्लोक बादरायण के नाम से मिलते हैं। सम्प्रति बादरायणकृत कोई पुस्तक हमारी जानकारी में उपलब्ध नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक सर्वप्रथम 1972 में हस्तलिखित पाण्डुलिपि से ऑरियन्टल इंस्टीट्यूट बड़ौदा द्वारा भट्टोत्पल के विवरण सहित प्रकाशित की गई थी। केवल 76 छन्दों वाली यह पुस्तक प्रश्न के विषय में सचमुच अनूठी है।

इसका महत्त्व इसी से सिद्ध हो जाता है कि वराहमिहिर ने दैवज्ञवल्लभा में और भ‌ट्टोत्पल ने अपनी आर्यासप्तति (प्रश्नज्ञान) में इसके कई नियमों को खुले हदय से स्वीकार किया है। नष्ट जातक व आयु का विचार इसमें विशेष महत्त्वपूर्ण है। साथ ही दैनन्दिन जीवन में उठने वाले ज्वलन्त प्रश्नों का समाधान भी यहाँ उत्कृष्ट ढंग से किया गया है। हम विश्वासपूर्वक कह सकते हैं कि यह लघुकाव पुस्तक कई अर्थों में आर्यासप्तति (प्रश्न ज्ञान) एवं पृथुयशा की षट्पंचाशिका से भी बढ़कर है।

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