Rudra Ashatadhyayi (रुद्राष्टाध्यायी : हिंदी टीका)
₹30.00
Author | Shri Dhar Shastri |
Publisher | Shastri Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2019 |
ISBN | - |
Pages | 60 |
Cover | Paper Back |
Size | 12 x 0.5 x 20 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SP0005 |
Other | Dispach in 1-3 days |
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रुद्राष्टाध्यायी : हिंदी टीका (Rudra Ashatadhyayi) उत्तर भारत में प्रायः प्रत्येक आस्तिक हिन्दू परिवार में सत्यनारायण व्रत कथा तथा दुर्गापाठ के साथ-साथ सावन, मलमास आदि विशेष मासों में अथवा प्रदोष, शिवरात्रि आदि विशेष पर्वों पर रुद्राभिषेक की परम्परा है। रुद्राभिषेक के लिए “रुद्राष्टाध्यायी पद्धति” भी प्राप्त है। इस रुद्राष्टाध्यायी में कुल दस अध्याय हैं। आठ अध्याय पाठ परक हैं। नवम अध्याय शान्तिपरक है तथा दशम अध्याय स्वस्ति-प्रार्थना परक है।
इस पद्धति में कुल २१२ मंत्र हैं। २०५ मंत्र यजुर्वेद संहिता के हैं। शेष ७ मंत्र अन्यत्र से संग्रहीत हैं; जो प्रार्थना परक हैं। रुद्राष्टाध्यायी शब्द से ही बोघ होता है कि यह रुद्र परक प्रार्थना के लिए अष्ट (आठ) अध्यायों में ग्रथित है। सत्यनारायण व्रत कथा तथा दुर्गापाठ का हिन्दी अनुवाद सर्वत्र सुलभ है, किन्तु “रुद्राष्टाध्यायी” का हिन्दी अनुवाद दुर्लभ है। इसका अनुवड करना भी कठिन है। वैदिक व्याकरण, वैदिक छन्द, वैदिक शब्दानुशासन अलग है। पाणिनीय व्याकरण के आधार पर वेद मंत्रों का हिन्दी अनुवाद नहीं किया जा सकता है।
एक कठिनाई और भी है; वेदमंत्रों में आगत अनेक शब्द पुराणों में आए शब्दों से मेल नहीं खाते। जैसे पुराण में वृत्रहा देवराज इन्द्र के लिए प्रयुक्त है। वेदमंत्रों में वृत्र का अर्थ अंधकार कहा गया है उसे नष्ट करने के कारण सूर्य को वृत्रहा कहा गया है। पुराणों के अनुसार अम्बिका देवी शिवजी की भार्या हैं जबकि वेदमंत्रों में अम्बिका को शिवजी की वहन कहा गया है।
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