Sahitya Ratna Manjusha (साहित्यरत्नमञ्जूषा)
₹180.00
Author | Pt. R. V. Krishnacharya |
Publisher | Uttar Pradesh Sanskrit Sansthan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 1st edition, 2006 |
ISBN | - |
Pages | 248 |
Cover | Hard Cover |
Size | 23 x 1 x 15 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | UPSS0027 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
5 in stock (can be backordered)
CompareDescription
साहित्यरत्नमञ्जूषा (Sahitya Ratna Manjusha) बंगाल के रूप गोस्वामी (१६वीं शती) ने कृष्णपरक सूक्तियों का एक संग्रह ‘पद्यावली’ के नाम से किया। इसमें राधाकृष्ण की ललित लीलाओं से सम्बद्ध पद्यर्थों का कमनीय संकलन है। यह ग्रन्थ ढाका विश्वविद्यालय से १६३४ ई. में प्रकाशित हुआ है। इसी संग्रह क्रम में महाराज शम्भु द्वारा संकलित बुधभूषण’ भी है। इसके तीन खण्डों में अर्थशास्त्र, नीतिशास्त्र तथा राजनीति से सम्बद्ध पद्य संकलित हैं।
लक्ष्मण भट्ट अंकोलकर रचित ‘पद्यरचना’, के १५ परिच्छेदों में देवस्तुति, राजवर्णन, नायिका, ऋतु, रस, नाना अन्योक्ति आदि के विषय में प्राचीन कवियों के सुन्दर पद्यों का संकलन है। सम्पूर्णपद्यों की संख्या ७५६ है। हरिभास्कर कृत ‘पद्यामृततडिग्णी’ तथा मणिरामकृत ‘श्लोक संग्रह’ भी सुभाषित संग्रहों में अन्यतम हैं। ‘श्लोकसंग्रह’ में १६०६ पद्य हैं। इसमें कवियों के नाम तथा उनके ग्रन्थों का भी निर्देश स्थान-स्थान पर उपलब्ध है।
विशिष्ट सुभाषित-संग्रहों में शिवदत्त संकलित ‘सुभाषितरत्न भाण्डागार’ का प्रमुख स्थान है। प्राचीन ग्रन्थों के आधार पर संकलित इस भाण्डागार में दस हजार से अधिक पद्यों का संग्रह है, जो संख्या की दृष्टि से सभी सुभाषित संग्रहों में महत्तम है। इसमें सात प्रकरण है-मंगलाचरण, सामान्य, राजा, चित्र, अन्योक्ति, नवरस तथा संकीर्ण। वस्तुतः यह भाण्डागार संस्कृत साहित्य का विशालतम संग्रह ग्रन्थ है, जिसमें नाना विषयों की सूक्तियों भिन्नरुचि वाले पाठकों के मनोरञ्जन के लिए पर्याप्त सामग्री प्रस्तुत करती हैं। सूक्तिसंग्रहों के ऐतिहासिक विवरण में आचार्य सायण का नाम भी उल्लेखनीय है। उनके दो संग्रह ग्रन्थ है-‘सुभाषित सुधानिधि’ तथा ‘पुरुषार्थ सुधानिधि’। सायण के संग्रह का उद्देश्य धार्मिक तथा दार्शनिक है।
सुभाषित संग्रहों के अतिरिक्त अनेक सुभाषितसंग्रहों का उल्लेख और विवरण स्टर्नवारव ने प्रस्तुत किया है, जो पाण्डुलिपियों में प्राप्य है। सुभाषित संग्रह-कार्य अत्यन्त उपादेय है। सुभाषितसंग्रह शृङ्खला में ‘साहित्यरत्नमञ्जूषा’, जिसका हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत है; एक महनीय संग्रहग्रन्थ है जिसमें संस्कृत साहित्य के प्रमुख मकाकवियों, गद्यकवियों और नाटककारों के प्रसिद्ध महाकाव्यों, गद्यकाव्यों और नाटकों के सुभाषित रत्नरूप में संग्रहग्रन्थों की अपेक्षा इस बात में है कि इसमें महाकवियों और नाटककारों के गद्यात्मक और पद्यात्मक-उभयविध सदुक्तियों का संकलन किया गया है।
Reviews
There are no reviews yet.