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Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 9 (संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-नौ न्याय खण्ड)

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470.00

Author Acharya Baldev Upadhyaya
Publisher Uttar Pradesh Sanskrit Sansthan
Language Hindi & Sanskrit
Edition 2nd edition, 2021
ISBN -
Pages 460
Cover Hard Cover
Size 23 x 2 x 15 (l x w x h)
Weight
Item Code UPSS0009
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Description

संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-नौ न्याय खण्ड (Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 9) संस्कृत वाङ्मय के इतिहास के इस नवम खण्ड में न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग और मीमांसा इन पाँच आस्तिक दर्शनों का सांगोपांग विवेचन किया गया है।

न्यायदर्शन– आस्तिक दर्शनों में न्यायदर्शन का प्रमुख स्थान है। वैदिक धर्म के स्वरूप के अनुसन्धान के लिए न्याय की परम उपादेयता है। इसीलिए मनुस्मृति में श्रुत्यनुगामी तर्क की सहायता से ही धर्म के रहस्य को जानने की बात कही गई है। वात्स्यायन ने न्याय को समस्त विद्याओं का प्रदीप कहा है। ‘न्याय’ का व्यापक अर्थ है विभिन्न प्रमाणों की सहायता से वस्तुतत्त्व की परीक्षा प्रमाणैरर्थपरीक्षणं न्यायः। (वा.न्या.भा.१/१/१)। प्रमाणों के स्वरूपवर्णन तथा परीक्षणप्रणाली के व्यावहारिक रूप के प्रकटन के कारण यह न्याय दर्शन के नाम से अभिहित है। न्याय का दूसरा नाम है आन्विक्षिकी। अर्थात् अन्वीक्षा के द्वारा प्रवर्तित होने वाली विद्या। अन्वीक्षा का अर्थ है- प्रत्यक्ष या आगम पर आश्रित अनुमान अथवा प्रत्यक्ष तथा शब्द प्रमाण की सहायता से अवगत विषय का अनु-पश्चात् ईक्षण-पर्यालोचन-ज्ञान अर्थात् अनुमिति। अन्वीक्षा के द्वारा प्रवृत्त होने से न्याय विद्या आन्विक्षिकी है।

भारतीय दर्शन के इतिहास में ग्रन्थसम्पत्ति की दृष्टि से वेदान्त दर्शन को छोड़कर न्यायदर्शन का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। विक्रमपूर्व पञ्चमशतक से लेकर आजतक न्यायदर्शन की विमल धारा अबाधगति से प्रवाहित है। न्यायदर्शन के विकास की दो धारायें दृष्टिगोचर होती हैं। प्रथम धारा सूत्रकार गौतम से आरम्भ होती है, जिसे षोडश पदार्थों के यथार्थ निरूपण होने से पदार्थमीमांसात्मक प्रणाली कहते हैं। दूसरी प्रणाली को प्रमाणमीमांसात्मक कहते हैं, जिसे गंगेशोपाध्याय ने ‘तत्त्वचिन्तामणि’ में प्रवर्तित किया। प्रथम धारा को ‘प्राचीन न्याय’ और द्वितीय धारा को ‘नव्यन्याय’ कहते हैं। प्राचीनन्याय में मुख्य विषय पदार्थमीमांसा और नव्यन्याय में प्रमाणमीमांसा है।

1 review for Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 9 (संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-नौ न्याय खण्ड)

  1. shridhar shukla

    good

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