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Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 18 (संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-अठारह प्रकीर्ण खण्ड)

400.00

Author Acharya Baldev Upadhyaya
Publisher Uttar Pradesh Sanskrit Sansthan
Language Hindi & Sanskrit
Edition 1st edition, 2017
ISBN -
Pages 480
Cover Hard Cover
Size 23 x 2 x 15 (l x w x h)
Weight
Item Code UPSS0017
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Description

संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-अठारह प्रकीर्ण खण्ड (Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 18) “संस्कृत वाङ्मय का वृहद् इतिहास” का अष्टादश खण्ड “प्रकीर्ण खण्ड” के प्रथम संस्करण का प्रकाशन हो रहा है, सन्तोष का विषय है। संरस्कृत वाङ्मय के वृहद् इतिहास के अष्टादश खण्ड में भारत के विभिन्न कलाओं, वाङ्मय में मूल्य नाट्य शास्त्र, हस्त मुद्राओं आदि का सुन्दर वर्णन इस खण्ड के लेखकों द्वारा अत्यन्त ही परिश्रम पूर्वक सुव्यवस्थित तरीके से शास्त्र को ध्यान में रखते हुए पूर्ण किया गया है, इस कार्य हेतु मैं इस खण्ड के सभी लेखकों के प्रति आभार प्रकट करता हूँ।

भारतीय संस्कृत मानव जीवन को ही अनुष्ठानपरक बनाने की प्रेरणा प्रदान करती है। यही कारण ही भारतीय संस्कृति की अजस्रधारा को प्रवाहित करने वाली भाषा देववाणी संस्कृत के माध्यम से ही भारतीय जीवन-दर्शन में समस्त संस्कार सम्पादित किये जाते हैं। प्रस्तुत खण्ड जिस अर्थ में एक साहित्य के इतिहास से अपेक्षा की जा सकती है उसकी बहुत कुछ पूर्ति में समर्थ होगा ऐसा मुझे विश्वास है। इसके अध्याय के सभी लेखक साहित्य के विकास ग्रहण करते हुए काव्यरूपों तथा शैलियों से सुपरिचित ही नहीं, स्वयं निर्माण में दक्ष भी हैं। प्राचीन एवं आधुनिक युग के भारतीय नाट्यशास्त्र, हस्त मुद्रा, ललित कलाएँ आदि को भी आत्मसात् करते हुए अपनी गुणग्राहिणी दृष्टि का भी परिचय दिया है। इस कारण भी यह खण्ड उपयोगी होगा, ऐसा मेरा विश्वास है।

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