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Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 1 (संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-एक वेद खण्ड)

360.00

Author Prof. Vrajbihari Chaubey, Acharya Baldev Upadhyaya
Publisher Uttar Pradesh Sanskrit Sansthan
Language Hindi
Edition 2nd edition, 2012
ISBN -
Pages 682
Cover Hard Cover
Size 23 x 3 x 15 (l x w x h)
Weight
Item Code UPSS0001
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Description

संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-एक वेद खण्ड (Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 1) संस्कृत वाङ्मय का बृहदू इतिहास जिसके १४ खण्ड में प्रकाशित हो चुके हैं ये संस्कृत जगत् में महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ के रुप में मान्यता प्राप्त है। वाङ्मय का प्रथम खण्ड वेदखण्ड के रुप मे १६६६ में प्रधान सम्पादक पद्मभूषण आचार्य बलदेव उपाध्याय की भूमिका तथा सम्पादक प्रो. व्रज विहारी चौवे की प्रस्तावनायुक्त प्रकाशित हुआ था। इस खण्ड में २० अध्याय हैं जिसमें प्रथम अध्याय में वैदिक वाङ्मय का आदिकाल मन्त्रकाल, द्वितीय अध्याय में वैदिक मन्त्रों का संकलन संहिताकाल, तृतीय अध्याय में वैदिक शाखा एवं चरणों का उद्भव एवं विकास, चतुर्थ अध्याय में ऋग्वेद शाखा-संहितायें तथा उनके प्रवचनकर्ता, पंचम अध्याय में शाकल ऋग्वेद का विभाग एवं चयन क्रम, पष्ठ अध्याय में शाकल-ऋग्वेद संहिता का वर्ण्य विषय, सप्तम अध्याय में ऋग्वेद के दार्शनिक सूक्त, अष्टम अध्याय में यजुर्वेद संहिता, नयम अध्याय में कृष्णयजुर्वेदीय संहितायें, दशम अध्याय में शुक्ल यजुर्वेदीय संहितायें, एकादश अध्याय में सामवेद संहिता, द्वादश अध्याय में अथर्ववेदीय संहितायें, त्रयोदश अध्याय में ब्राहाण साहित्य, चतुर्दश अध्याय में आरण्यक साहित्य, पंचदश अध्याय में उपनिषत्-साहित्य, पोडश अध्याय में वैदिक जनराज्य, अष्टादश अध्याय में वैदिक प्रशासनिक व्यवस्था, एकोनविंश अध्याय में वैदिक समाज एवं परिवार तथा विंश अध्याय में वैदिक आर्थिक जीवन है।

इन बीस अध्यायों में विश्व के प्राचीनतम वाड्मय, जो सर्वप्रथम भारत में प्रणीत हुआ उसके समग्ररुप का विस्तृत विवेचन सामने रखने का प्रयास किया गया है जो उन अध्यायों के नाम से ही सुस्पष्ट है।

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