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Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 10 (संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-दस वेदान्त खण्ड)

580.00

Author Acharya Baldev Upadhyaya
Publisher Uttar Pradesh Sanskrit Sansthan
Language Hindi & Sanskrit
Edition 2nd edition, 2018
ISBN -
Pages 592
Cover Hard Cover
Size 23 x 3 x 15 (l x w x h)
Weight
Item Code UPSS0010
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Description

संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-दस वेदान्त खण्ड (Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 10) संस्कृतवाङ्मय के बृहद् इतिहास का यह वेदान्तखण्ड दशम कुसुम है। प्रस्तुत खण्ड चार भागों में विभक्त है-

१. अद्वैतवेदान्त का उद्गम और विकास।  २. विशिष्टाद्वैतवाद का उद्भव और विकास।

३. सेश्वरवेदान्त का विकास।  ४. गीता और योगवासिष्ठ।

प्रथम अद्वैतवेदान्त भाग में शंकरपूर्ववेदान्त, शङ्कराचार्य का अद्वैतवेदान्त, विवरणप्रस्थान, भामती-प्रस्थान, वार्तिकप्रस्थान, वाद प्रस्थान और प्रारंभिक प्रस्थान के आचार्यों, सिद्धान्तों, साहित्यों और टीकासम्पत्तियों का सप्रमाण विवेचन अद्वैत वेदान्त के समग्ररूप को उद्भासित करता है। द्वितीय विशिष्टाद्वैतवेदान्त भाग में रामानुज, रामानन्द, स्वामिनारायण, श्रीकण्ठ, श्रीकर प्रभृति आचार्यों के मतों का पर्यालोचन किया गया है। इसमें वैष्णव और शैव विशिष्टाद्वैतवादियों की विस्तृत विवेचना दोनों मतों का समन्वयात्मक स्वरूप प्रस्तुत करती है। तृतीय सेश्वरवेदान्त भाग में भास्कर का भेदाभेद, निम्बार्क का द्वैताद्वैत, मध्व का द्वैत, मध्वोत्तरद्वैत, विज्ञानभिक्षु का अविभागाद्वैत, वल्लभ का शुद्धाद्वैत और कृष्णचैतन्य का अचिन्त्यभेदाभेद विवेचित है। चतुर्थ गीता और योगवासिष्ठ भाग में गीता और योगवासिष्ठ का विस्तृत विवरण दिया गया है।

गीता के प्रतिपाद्य विषय के वर्णन के साथ ही गीता पर उपलब्ध समस्त भाष्य और व्याख्यासम्पत्ति का सा‌ङ्गोपाङ्गवर्णन विशेष उपादेय है। दर्शनजगत् में योगवासिष्ठ वेदान्त के स्वरूप का दिग्दर्शन विशेष उपलब्धि है। इस प्रकार वेदान्तदर्शन विषयक प्रस्तुत खण्डने वेदान्तसिद्धान्त की समस्त विधाओं का प्रामाणिक निरूपण प्रस्तुत कर दर्शनपक्ष के महनीय तत्त्व को उजागर किया है। जिज्ञासु पाठकों को इस खण्ड के अध्ययन से वेदान्तदर्शन के समग्ररूप की स्पष्ट झांकी मिलेगी, ऐसा मेरा विश्वास है।

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