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Saravali (सारावली)
₹340.00
Author | Shree Murli Dhar Chaturvedi |
Publisher | Motilal Banarasidas |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 5th edition, 2022 |
ISBN | 978-81-208-2127-9 |
Pages | 518 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | MLBD0031 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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CompareDescription
सारावली (Saravali) वेदाङ्गों में ज्योतिषशास्त्र सर्वश्रेष्ठ शास्त्र है। इस शास्त्र के बल पर ही जगत् का शुभाशुभ ज्ञात हो सकता है। इस शास्त्र के मुख्य तीन भाग हैं- १. सिद्धान्त, २. संहिता, ३. होरा। ये तीनों भाग महर्षियों द्वारा प्रणीत होने के कारण ही जीवन में होने वाली घटनाओं का सत्य परिचय देने में पूर्ण समर्थ होते हैं। इसमें लेशमात्र भी सन्देह नहीं है। सिद्धान्त, सहिता इन दोनों के लक्षण तत्तद् ग्रन्थों में उपलब्ध हैं।
प्रस्तुत ‘सारावली’ में होरा या जातक का विवेचन किया गया है। इस विषय पर वराहमिहिर ने बृहज्जातक का निर्माण किया था किन्तु उसमें विषयों का विभाजन संक्षेप में मिलता है। इसके उपरान्त कल्याणवर्मा की यह सारावली ही दूसरा ग्रन्थ है जिसमें जातक के जीवन से सम्बद्ध सभी प्रकार के सुख-दुःख, अच्छा-बुरा आदि का विस्तृत विवरण सम्यक् प्रकार से विवेचित हुआ है। इस एकमात्र ग्रन्थ के विवेकपूर्वक अध्ययन से जातक के सम्पूर्ण जीवन का वास्तविक फलादेश कहा जा सकता है। यवनजातक आदि ग्रन्थों का सार भी इसमें संगृहीत है। इस महत्ता के कारण ही यह ग्रन्थ प्रायः सभी विश्वविद्यालयों में ज्योतिष-पाठ्यग्रन्थों में निर्धारित है।
मूल ग्रन्थ संस्कृत में होने से सामान्य जन उसका उपयोग नहीं कर पाते थे अतः सर्वप्रथम हिन्दी में अनुवाद के साथ प्रस्तुत किया गया है। अपनी प्रामाणिकता एवं प्राचीनता की दृष्टि से यह ग्रन्थ अद्भुत एवं अनूठा है।
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