Shaikshik Prabandhan Prashasan Evam Netritava (शैक्षिक प्रबन्धन प्रशासन एवं नेतृत्व)
₹170.00
Author | Pro. Dr. Hemlata Talesra |
Publisher | Rajasthan Hindi Granth Academy |
Language | Hindi |
Edition | 1st edition, 2020 |
ISBN | 978-93-89260-38-0 |
Pages | 198 |
Cover | Paper Back |
Size | 13 x 1 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RHGA0009 |
Other | Book Dispatch in 1-3 Days |
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शैक्षिक प्रबन्धन प्रशासन एवं नेतृत्व (Shaikshik Prabandhan Prashasan Evam Netritava) ‘शैक्षिक प्रबन्धन, प्रशासन एवं नेतृत्व’ देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के एम.एड. एवं एम.ए. शिक्षा के परिवर्तित पाठ्यक्रम हेतु चयनित विषय शैक्षिक प्रबन्धन शैक्षिक प्रशासन एवं प्रवन्धन शैक्षिक प्रबन्धन, प्रशासन एवं नेतृत्व के आधार पर लिखी गई है। प्रस्तुत पुस्तक प्रशिक्षणार्थियों को सरल भाषा में विस्तृत विषयवस्तु प्रदान करने में सक्षम रहेगी। इस पुस्तक में शैक्षिक प्रबन्धन, प्रशासन एवं नेतृत्व के विभिन्न आयामों से जोड़ते हुए सहजता के साथ-साथ विभिन्न विन्दुओं को बारीकी से स्पष्ट किया गया है। इसके प्रथम अध्याय में शैक्षिक प्रबन्धन एवं प्रशासन से तात्पर्य, अन्तर, आधुनिक सम्प्रत्यय के विकास विभिन्न युगों के सन्दर्भ में विवेचना की गई है। द्वितीय अध्याय में शैक्षिक प्रबन्धन की प्रक्रिया, प्रबोधन एवं निष्पादन के विभिन्न बिन्दुओं को स्पष्ट किया गया है। तीसरे अध्याय में शैक्षिक प्रबन्धन के मुख्य सिद्धान्तों ग्रिफिथ्स का निर्णयवादी सिद्धांत, गेटजेल का दायित्व संघर्ष सिद्धांत तथा संगठनात्मक सन्तुलन की विचारधारा का विवेचन किया गया। अध्याय चार में शैक्षिक नेतृत्व से तात्पर्य, प्रकार, शैलियाँ एवं स्वरूप को स्पष्ट किया गया है। अध्याय पाँच में शैक्षिक नियोजन के सम्प्रत्यय, प्रकृति, आवश्यकता, समस्याएँ तथा संस्थागत नियोजन की विवेचना की गई है। अध्याय छः में शैक्षिक प्रबन्धन में निर्णय प्रक्रिया से तात्पर्य, विशेषताएँ, प्रकार, शैलियाँ एवं चरण को स्पष्ट किया गया है। अध्याय सात में शैक्षिक संगठन का अर्थ, प्रक्रिया एवं सिद्धांतों की विवेचना की गई है।
अध्याय आठ में शैक्षिक पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण से तात्पर्य उद्देश्य, आवश्यकता, आधार, कार्य एवं क्षेत्र स्पष्ट किये गये। अध्याय नौ में शैक्षिक वित्त के सम्प्रत्यय, सुधार एवं मुद्दे, कार्य एवं वित्तीय प्रवन्धन को विस्तार से स्पष्ट किया गया। अध्याय दस के अन्तर्गत शिक्षा संस्थानों में संसाधन प्रबन्धन एवं गुणात्मकता सुनिश्चित करने सम्बन्धी विवेचना की गई है। हर अध्याय के अन्त में सन्दर्भ सूची दी गई है, जिससे प्रशिक्षणार्थियों, शिक्षक वर्ग तथा शोधार्थियों को आगे के अध्ययन हेतु महत्त्वपूर्ण विषयवस्तु उपलब्ध होगी।
पुस्तक के पाठक देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के एम.एड., एम.ए. (शिक्षा), एम.फिल. (शिक्षा) के प्रशिक्षणार्थी तथा शैक्षिक प्रवन्धन, प्रशासन एवं नेतृत्व पर कार्य करने वाले शोधार्थी एवं शिक्षक होंगे। पहले से कुछ पुस्तकें उपलब्ध होने पर भी इस पुस्तक की एक अलग पहचान होगी, क्योंकि इस पुस्तक में विषय के विभिन्न मुद्दों को बारीकी से स्पष्ट किया गया है। साथ ही हर अध्याय के अन्त में सन्दर्भ सूची एवं वेबसाइट भी दी गई है, जो पाठकों को सन्दर्भ एवं विषयवस्तु के अध्ययन में मदद करेगी। पूर्व में लिखित पुस्तकों में सिर्फ कुछ अध्यायों का सैद्धान्तिक पक्ष ही स्पष्ट किया गया, जबकि इस पुस्तक में विभिन्न अध्यायों के आवश्यक मुद्दों को भी बारीकी से स्पष्ट करने का प्रयास रहा है।
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