Shilanyas Paddhati (शिलान्यास पद्धति)
₹25.00
Author | Shri Dhar Shastri |
Publisher | Shastri Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2021 |
ISBN | - |
Pages | 40 |
Cover | Paper Back |
Size | 17 x 0.5 x 11 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SP0022 |
Other | Dispach in 1-3 days |
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शिलान्यास पद्धति (Shilanyas Paddhati) नीव पूजन नया घर बनवाने में सर्वप्रथम नींव की पूजा होती है। शास्त्र के अनुसार मकान मालिक नींव में नाग-कच्छप आदि की पूजा करके पहले स्वयं कम से कम ५ ईंटा जोड़ दे, तब उसके बाद मिस्त्री-मजदूर-राजगीर को आगे की जुड़ाई करनी चाहिये। गृहारम्भ विषयक जो वास्तुपद्धतियां उपलब्ध हैं, उनके अनुसार संस्कार कराना कठिन है, क्योंकि पद्धतियों के अनुसार समुद्र का जल, तीर्थजल-सुवर्णजल-रजतजल, सर्वोषधि-वृषशृङ्गोदक-फालकृष्ट-मृदुदक आदि ऐसी-ऐसी वस्तुओं के जल से ईटा धोने का प्राविधान है, जो सामान्यतः गृहस्थी में एकत्र कर सकना कठिन है। उपलब्ध पद्धतियों में पुण्याहवाचन नान्दीश्राद्ध-आदि का भी प्राविधान है। वेदीनिर्माण-पंचभूसंस्कार तथा कुशकण्डिका-हवन आदि का लम्बा चौड़ा विधान सामान्य गृहस्थ के लिए कठिन है।
इसके अतिरिक्त काशी-बम्बई आदि विभिन्न स्थानों से प्रकाशित विभिन्न पद्धतियों में विभिन्न विधियाँ देखने को मिलती हैं। क्या करें, क्या छोड़ें- यह विषम समस्या है। सामान्यतः आजकल पंचदेव पूजन करके ईंटा की पूजा-भूमिपूजन-नाग-कच्छप आदि की पूजा की जाती है और नींव देने का काम (गृहारम्भ) जुड़ाई शुरू किया जाता है। इस पुस्तक में इसी प्रचलित विधि को सुगम रूप में लिखने का प्रयास किया गया है। प्रयत्न यही है कि कोई भी आवश्यक विषय छूटे नहीं और सभी पद्धतियों का समीकरण भी हो जाय। गृहारम्भ की पद्धतियों की कमी नहीं है, लेकिन साधारण पुरोहितों के लिए ये पद्धतियाँ भ्रमजाल हैं। इसी भ्रमजाल से निकलने तथा बिना किसी से पूछे या बिना किसी अटकाव के एक सामान्य पुरोहित भी नींव की पूजा करा ले- इसी दृष्टिकोण से यह पुस्तक तैयार की गई है।
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