Shri Durga Upasana Kalpadrum Adhyaya (श्रीदुर्गोपासनाकल्पद्रुमाध्याय:)
₹500.00
Author | - |
Publisher | Khemraj Sri Krishna Das Prakashan, Bombay |
Language | Sanskrit |
Edition | 2019 |
ISBN | - |
Pages | 462 |
Cover | Hard Cover |
Size | 31 x 2 x 17 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | KH0060 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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श्रीदुर्गोपासनाकल्पद्रुमाध्याय: (Shri Durga Upasana Kalpadrum Adhyaya) दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, नवदुर्गा, देवी, शक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, पार्वती , जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली, ममतामई, मोक्ष प्रदायनी तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।
दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक देवी के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है। उन्होने महिषासुर नामक असुर का वध किया। महिषासुर (= महिष + असुर = भैंसा जैसा असुर) करतीं हैं। हिन्दू ग्रन्थों में वे शिव की पत्नी दुर्गा के रूप में वर्णित हैं। जिन ज्योतिर्लिंगों में देवी दुर्गा की स्थापना रहती है उनको सिद्धपीठ कहते है। वहाँ किये गए सभी संकल्प पूर्ण होते है। माता का दुर्गा देवी नाम दुर्गम नाम के महान दैत्य का वध करने के कारण पड़ा।
माता ने शताक्षी स्वरूप धारण किया और उसके बाद शाकंभरी देवी के नाम से विख्यात हुई शाकंभरी देवी ने ही दुर्गमासुर का वध किया। जिसके कारण वे समस्त ब्रह्मांड में दुर्गा देवी के नाम से भी विख्यात हो गई। माता के देश में अनेकों मंदिर हैं कहीं पर महिषासुरमर्दिनि शक्तिपीठ तो कहीं पर कामाख्या देवी। यही देवी कोलकाता में महाकाली के नाम से विख्यात और सहारनपुर के प्राचीन शक्तिपीठ मे शाकम्भरी देवी के रूप में ये ही पूजी जाती हैं।
हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है)। वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी “उमा हैमवती” (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है। दुर्गा असल में शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं, शिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है। एकांकी (केंद्रित) होने पर भी वह माया शक्ति संयोगवश अनेक हो जाती है। उस आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री (ब्रह्मा जी की पहली पत्नी), लक्ष्मी, और मुख्य रूप से पार्वती (सती) के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था। तीन रूप होकर भी दुर्गा (आदि शक्ति) एक ही है।
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