Sindhu Sabhyata (सिन्धु सभ्यता)
₹200.00
Author | Dr. Kiran Kumar Thapalyal |
Publisher | Uttar Pradesh Hindi Sansthan |
Language | Hindi |
Edition | 9th edition, 2019 |
ISBN | 978-81-938658-5-9 |
Pages | 373 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | UPHS0041 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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CompareDescription
सिन्धु सभ्यता (Sindhu Sabhyata) बीसवीं शती के तीसरे दशक के प्रारंभ में हड़प्पा और मोहेंजोदडो में अत्यंत प्राचीन सभ्यता के अवशेषों का ज्ञान हुआ। इन दो स्थालों में किये गये उत्खनन से उपलब्ध सामग्री ने इस सभ्यता को प्राचीन मिस तथा सुमेर की सभ्यताओं के समकक्ष स्थान दिलाया। इसे विश्व की सबसे प्राचीन सुनियोजित नगरो वाली सभ्यता होने का श्रेय प्राप्त हुआ। बाद में मुख्यतः भारत और पाकिस्तान में किये गये सर्वेक्षणों के फलस्वरूप यह ज्ञात हुआ कि प्राचीनतम सभ्यताओं में इसका क्षेत्र सर्वाधिक विस्तृत था। इस, सभ्यता के लिए कई नाम सुझाये गये हैं (जिनकी चर्चा हमने प्रथम अध्याय में की है) तथापि सिंधु सभ्यता सर्वाधिक प्रचलित है। हमने इस सभ्यता का अधिकांशतः इसी नाम से उल्लेख किया है, किंतु यत्र-तत्र हड़प्पा सभ्यता का भी प्रयोग किया है।
सिंधु सभ्यता पर अनेक ग्रंथ और असंख्य लेख लिखे गये हैं। सबसे पहला विशाल और सर्वाधिक चित्रों से सुसज्जित ग्रंथ जान मार्शल का 1931 में संपादित मोहेंजोदड़ो एंड द इंडस सिविलिजेशन है। इसमें मुख्यतः उनके नेतृत्व में हुई मोहेंजोदड़ो की खुदाइयों से प्राप्त सामग्री का उनके तथा अन्य गणमान्य विद्वानों द्वारा विस्तृत विवेचन है। यह ग्रन्थ सिंधु सभ्यता के अध्ययन के लिये अपरिहार्य है। मकाइ द्वारा फर्दर एक्सकवेशंस ऐट मोहेंजोदड़ो (दो जिल्द) और वत्स द्वारा एक्सकवेशंस ऐट हड़प्पा (दो जिल्द) भी मोहेंजोदड़ो तथा हड़प्पा के उत्खनन से प्राप्त सामग्री का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत करते हैं। उसके बाद सिंधु सभ्यता के कुछ अन्य स्थलों के उत्खननों की रिपोर्ट प्रकाशित हुई और साथ ही कुछ विद्वानों ने सिंधु सभ्यता के विभिन्न स्थलों से प्राप्त साक्ष्य के आधार पर सिंधु सभ्यता का कालक्रम और उसके विभिन्न आयामों का भारतीय तथा भारतेतर समकालीन अथवा लगभग समकालीन संस्कृतियों के परिप्रेक्ष्य में समाकलित अध्ययन प्रस्तुत किया।
इनमें मकाइ का अर्ली इंडस सिविलिजेशन, पिगट का प्रीहिस्टोरिक इंडिया, गार्डन चाइल्ड का न्यू लाइट आन द मोस्ट एंशेट ईस्ट, मार्टिमर व्हीलर का इंडस सिविलिजेशन, ब्रिजेट तथा रेमण्ड आल्चिन का बर्थ ऑफ इंडियन सिविलिजेशन, ग्रेगरी पोस्सेद्दल द्वारा संपादित एशेट सिटीज ऑफ द इंडस और हाल ही में प्रकाशित ब्रजवासी लाल की द अर्लीअस्ट सिविलिजेशन ऑफ साउथ एशिया (1997) और जोनाथन मार्क केन्योर की एंशेट सिटीज ऑफ द इंडस सिविलिजेशन (1998) इत्यादि उल्लेखनीय हैं। अन्तिम दो में नवीनतम खोजों से प्राप्त साक्ष्यों का विवेचन है।
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