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Sundar Kandam (श्रीमद्वाल्मीकी रामायणे सुन्दरकाण्डम्)

Original price was: ₹70.00.Current price is: ₹56.00.

Author Dr. Vijay Sharma
Publisher Bharatiya Vidya Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition, 2001
ISBN -
Pages 432
Cover Paper Back
Size 18 x 2 x 13 (l x w x h)
Weight
Item Code BVS0103
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Description

श्रीमद्वाल्मीकी रामायणे सुन्दरकाण्डम् (Sundar Kandam) सुधी पाठकगण संस्कृत वाङ्गमय का भण्डार अतिविपुल एवं रत्नाकर के समान है। सुधी पाठक रूपी गोताखोर संस्कृत वाङ्गमय रूपी रत्नाकर में जितना ही गहरा गोता लगाता है उसको उतने अधिक न की प्राप्ति होती है। अधिकांश संस्कृत वाङ्गमय में रघकुल श्रेष्ठ मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्री रामचन्द्र जी के उज्जवल चरित्र एवं उनके सद्‌गुणों का वर्णन किया गया है। जिज्ञासु पाठकगण यदि मात्र वाल्मीकीय रामायण का अध्ययन करें तो उसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचन्द्र के जिन आदर्शों एवं सद्‌गुणों का वर्णन किया गया है उसका अनुपालन करने से संत, भक्त एवं श्रद्धालु सद्‌गृहस्थ सांसारिक आवागमनसे मुक्त हो जाते हैं। उन्हें पुरुषार्थ चतुष्टय (धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष) की प्राप्ति होती है, वे दैहिक, दैविक तथा भौतिक तापों से मुक्त हो जाते हैं। जैसा कहा गया है- कामार्थगुणसंयुक्तं धर्मार्थगुणविस्तरम्। समुद्रमिव रत्नाढ्यं सर्वश्रुतिमनोहरम् ।।

यहाँ सम्पूर्ण “वाल्मीकीय रामायण” के महात्म्य का वर्णन न कर मात्र “सुन्दरकाण्ड” की महत्वपूर्ण घटनाओं की ओर संकेत मात्र किया जा रहा है। जैसा कि इस काण्ड का नाम है, तदनुरूप उसमें सुन्दर-सुन्दर घटनाओं का वर्णन किया गया है। जैसे हनुमान जी का लंका को प्रस्थान, सुरसा से भेंट, छाया पकड़ने वाली राक्षसी का वच, लंका वर्णन, लंकिनी वध, हनुमान का लंका में प्रवेश, हनुमान-विभीषण संवाय, हनुमान जी का अशोकवाटिका में सीता को देखकर दुःखी होना और रावण का सीता जी को भय दिखलाना, श्री सीता-त्रिजटा संवाद, श्री सीता-हनुमान-संवाद, हनुमान जी द्वारा अशोकवाटिका विध्वंस, अक्षकुमार का वध और मेघनाथ का हनुमान दिव्यास्त्र में बाँधकर सभा में ले जाना, हनुमान-रावण संवाद, लंका दहन, लंका जलाने के बाद हनुमान का सीता जी से विदा भींगना और चूड़ामणि पाना, समुद्र के इस पार आना, सबका लौटना, मधुवन प्रवेश, सुग्रीव मिलन और श्रीराम-हनुमान संवाद आदि पटनाओं का वर्णन सुन्दर ढंग से किया गया है। उक्त के संदर्भ में किसी विद्वान का कथन है कि नष्ट द्रव्यस्य लाभो ही सुन्दरः परिकीर्तितः। वाल्मीकीय रामायण के “सुन्दरकाण्ड” के बारे में यदि निम्न बातें कही जाय तो अतिशयोक्ति न होगी। जैसे छन्दों में गायत्री, अंगों में मुख, नदियों में गंगा, वेदों में साम, सहस्रनामों में राम, सतियों में सीता, भारत में गीता, और भक्तों में हनुमान की प्रधानता सर्वविदित है, उसी प्रकार सम्पूर्ण वाल्मीकीय रामायण में “सुन्दरकाण्ड” का महत्त्व है। सुन्दरकाण्ड का नियमित पाठ करने का बहुत बड़ा लाभ बताया गया है।

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