Sunderkand (सुन्दरकाण्ड मूल)
₹30.00
Author | - |
Publisher | Gita Press, Gorakhapur |
Language | Hindi |
Edition | 11th edition |
ISBN | - |
Pages | 62 |
Cover | Paper Back |
Size | 20 x 1 x 14 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GP0054 |
Other | Code - 2130 |
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CompareDescription
सुन्दरकाण्ड मूल (Sunderkand) सुन्दरकाण्ड रामचरित मानस के सात कांडों में से एक काण्ड है। इसमें हनुमान जी द्वारा सीता की खोज और राक्षसों के संहार का वर्णन किया गया है। इसमें दोहे और चौपाइयां विशेष छंद में लिखी गयी हैं। सम्पूर्ण मानस में श्री राम के शौर्य और विजय की गाथा लिखी गयी है लेकिन सुन्दरकाण्ड में उनके भक्त हनुमान के बल और विजय का उल्लेख है। सुंदरकाण्ड में हनुमान जी का लंका प्रस्थान, दहन और लंका से वापसी तक के घटनाक्रम आते हैं। इस सोपान के मुख्य घटनाक्रम है – हनुमान जी का लंका की ओर प्रस्थान, विभीषण से भेंट, सीता से भेंट करके उन्हें श्री राम की मुद्रिका देना, अक्षय कुमार का वध, लंका दहन और लंका से वापसी।
सुंदरकांड का पाठ करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। पाठ स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करके करना चाहिए। सुंदरकांड का पाठ सुबह या शाम के चार बजे के बाद करें, दोपहर में 12 बजे के बाद पाठ न करें। पाठ करने से पहले चौकी पर हनुमानजी की फोटो अथवा मूर्ति रखें। माना जाता है कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। सुंदरकांड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूूर हो जाते हैं, इसमें हनुमानजी नें अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है।
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