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Swapna Vasvadattam (स्वप्नवासवदत्तम्)

Original price was: ₹100.00.Current price is: ₹80.00.

Author Acharya Narmdeshwar Kumar Tripathi
Publisher Bharatiya Vidya Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 4th edition, 2012
ISBN 978-93-81189-00-9
Pages 258
Cover Paper Back
Size 12 x 2 x 18 (l x w x h)
Weight
Item Code BVS0164
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Description

स्वप्नवासवदत्तम् (Swapna Vasvadattam) संस्कृतकवितावनिता के नवरङ्गीहासभूतल, कविकुलगुरु कालिदास के द्वारा प्रशंसित, महाकवि भास का संस्कृत साहित्य में एक विशिष्ट स्थान है। महाकवि भास की कृतियाँ सबसे पुरातन मानी जाती हैं। यह सम्भव है कि इनकी मौलिक कृतियों का रूप कुछ भिन्न हो और वर्तमान कृतियाँ कालान्तर से परिवर्तित रूप में सामने आ रही हो। महाकवि भास की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन्होंने भारतीय संस्कृति के उपजीव ग्रन्थ रामायण, महाभारत, श्रीम‌द्भागवतादि को आधार बनाकर अनेक रचनाये प्रस्तुत की हैं। अभिनेयता और कथावस्तु की दृष्टि से कवि को कुछ परिवर्तन का अधिकार प्राप्त ही है, तदनुरूप ही महाकवि ने मूल कथाओं और पात्रों के स्वरूप में कुछ परिवर्तन किया है। परन्तु यह परिवर्तन कथावस्तु और अभिनेयता को सुन्दर, मर्यादित और परिपुष्ट ही बनाता है। उन्हीं की कृतियों में सवर्वोत्कृष्ट स्वप्नवासवदत्तं नाटक है, जो राजशेखर आदि कवियों, समीक्षकों के द्वारा बहुत ही प्रशंसित है। इसमें प्रद्योत-पुत्री वासवदत्ता और वत्सराज उदयन के प्रेम को आदर्श रखकर बताया गया है कि प्रेम केवल एक ही जन्म का शारीरिक सम्बन्ध नहीं है; अपितु जन्म-जन्मान्तरों में भी चिरस्थायी रहने वाला वास्तविक प्रेम होता है।

इन नाटक के संवादों या कथनोपकथन की भाषा अत्यन्त ही सरल, सुबोध एवं प्रवाहमयी है। इस पुस्तक की रमणीयता देखकर ही विद्वज्जनों के द्वारा यह पुस्तक विविध विश्वविद्यालयों की विविध कक्षाओं में निर्धारित संस्कृत पाठ्यक्रम में रखी गयी है। यद्यपि स्वप्नवासवदत्तं नाटक की भिन्न-भिन्न व्याख्याएँ बाजार में देखने को मिलती हैं, परन्तु कुछ ऐसी है जो केवल हिन्दी माध्यम से संस्कृत विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करती है और कुछ संस्कृत माध्यम से। अतः उभयविध विद्यार्थियों के लाभ की दृष्टि से प्रस्तुत संस्करण को प्रस्तुत किया गया है। भूमिका भाग में कवि और कवि की स्थिति आदि के साथ प्रमुख पात्रों का चरित्र-चित्रण हिन्दी में किया गया है और कथासारांश, चरित्र-चित्रण, सूक्ति-व्याख्यादि संस्कृत माध्यम में भी किया गयाहै। नाटक भाग में सन्दर्भ-प्रसङ्ग, अन्वय, पदार्थ, लालमती व्याख्या, छन्द, अलङ्कार के क्रम से श्लोको की व्याख्या प्रस्तुत की गयी है। कुछ द्रष्टव्य गद्यांशों की व्याख्या भी सन्दर्भादि के साथ प्रस्तुत की गयी है। तत्तत्स्थलो पर नाट्यशास्त्र की दृष्टि से पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या भी प्रस्तुत की गई है। इस प्रकार छात्रों की अपेक्षा को देखते हुए आवश्यक सभी वस्तुओं का इसमें समावेश किया गया है।

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