Tao Te Ching (ताओ ते चिंग एक चीनी उपनिषद्)
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Author | Anuradha Banerjee |
Publisher | Indica Books |
Language | Hindi |
Edition | 2024 |
ISBN | 81-86569979 |
Pages | 138 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | IB0086 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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ताओ ते चिंग एक चीनी उपनिषद् (Tao Te Ching) चीन के अतिप्राचीन ताओवाद सम्प्रदाय के सबसे महत्त्वपूर्ण एवं प्रामाणिक ग्रन्थ, ताओ ते चिंग पहली बार हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किया जा रहा है। इस ग्रन्थ में ८१ अतिसंक्षिप्त अध्यायों के द्वारा ताओवाद के संस्थापक महामनीषी लाओत्सि स्वयं तत्त्वज्ञानी होते हुए, परमतत्त्व ताओ का साक्षात्कार करने की दिशा दिखाते हैं। वर्ण्य वस्तु, प्रसन्न एवं गम्भीर शैली आदि विशेषताओं को लेकर ताओ ते चिंग उपनिषदों के तुल्य कहा जा सकता है।
चीनी लोकगाथाओं के अनुसार लाओत्सि का जन्म ‘कू’ प्रशासित ‘छू’ राज्य के ‘ली’ प्रांत में सातवीं शताब्दी के अंत में हुआ था। इनका पूर्व नाम ‘ली ऐर’ कहा जाता है और इनका परिचय ‘झौऊ’ शासकों के अभिलेखागार में कार्यरत एक इतिहासकार के रूप में मिलता है। झौऊ वंश के पतन के समय वे अपना कार्य छोड़कर एक अनजान पर्वत के दर्रे में जाकर बस गये। यहाँ उन्होंने दरें की रखवाली करने वाले यिन-सी अथवा कुआन इन नामक व्यक्ति के अनुरोध पर ताओ ते चिंग नामक ग्रंथ की रचना की और तत्पश्चात् पश्चिम दिशा (संभवतः भारत) की ओर अज्ञातवास करने चले गये।
लाओत्सि के जन्म से जुड़ी अनेक किंवदंतियाँ हैं। कहा जाता है कि इनकी माँ का गर्भधारण एक धूमकेतु के दर्शन के बाद हुआ अथवा एक रात उन्हें स्वप्न में एक अलौकिक प्रकाश अपने गर्भ में प्रवेश करता दिखाई दिया। यह भी माना जाता है कि लाओत्सि का जन्म इक्यासी वर्षों के गर्भधारण के बाद हुआ था। जन्म के समय से ही उनके सफेद बाल, बड़े कान, ललाट के उपर चंद्र-कला और शरीर पर अन्य शुभ चिह्न अंकित थे। ऐसा प्रतीत होता है कि लाओत्सि के अनेक नाम थे। वास्तव में अपनी बुद्धिमत्ता के कारण उन्हें जन्म से ही लाओत्सि कहा जाने लगा था। चीनी भाषा में लाओ शब्द का अर्थ श्रद्धेय या पूजनीय होता है।
चीनी मान्यताओं के अनुसार वृद्धावस्था को दीर्घायु और बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है। अन्य दो नाम ऐर (कान) एवं तान (लम्बे कान) भी दीर्घायु और तीव्र बुद्धि से संबंधित हैं। संभवतः इसीलिए ऋषि, मनिषियों का चित्रण अधिकतर लंबे कानों के साथ किया जाता रहा है।लाओत्सि के व्यक्तित्व का चित्रण करने के लिए उनसे संबंधित एक घटना का विवरण यहाँ दिया जा सकता है। चीन के प्रथम इतिहासार सिम-कियान द्वारा लाओत्सि एवं कोंगत्सि (कन्फ्यूशियुस, कन्फ्यूशिवाद Confucianism के प्रतिस्थापाक) का मिलन वर्णित किया है।
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