The Mayamatam Of Mayamuni (मयमतम्)
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Author | Prof. Kaushalendra Pandey |
Publisher | The Bharatiya Vidya Prakashan |
Language | Sanskrit |
Edition | 2020 |
ISBN | 978-93-88415-33-4 |
Pages | 351 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0402 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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मयमतम् (The Mayamatam Of Mayamuni) मयमतम् भारतीय शिल्पशास्त्र की परम्परा में द्रविड़ शैली का प्रमुख वास्तुशास्त्रीय ग्रन्थ है। कतिपय विद्वान् ग्रन्थ के मङ्गल पद्य के अभिप्राय को मानकर मय दानव को इसका रचयिता मानते हैं। किन्तु मङ्गलपद्य के अनन्तर द्वितीय श्लोक के वाक्य ‘प्राज्ञो मुनिर्मयः कर्ता’ से मयमुनि इस ग्रन्थ के प्रणेता सिद्ध होते हैं।
यह सम्भव है कि मय की परम्परा को भलीभाँति जाने वाले कोई ऐसे आचार्य रहे हों जो मय के प्रति श्रद्धावान् भी रहे हों, इसीलिए उन्हें भी मय कहा जाता हो। उनके आर्ष परम्परा में होने के कारण वे मयमुनि के ही नाम से प्रसिद्ध हो गए हों तथा विनम्रतापूर्वक स्वयं का भी उल्लेख कर रहे हों। देवताओं के विग्रहादि के प्रतिपादन के कारण इस पर आगमशास्त्र का भी प्रभाव है।
मयमत में कुल ३६ अध्याय हैं जिनमें भूमि, प्रासाद, यान तथा शयन आदि के विस्तृत वर्णन के साथ देवालय, लिङ्गलक्षण और प्रतिमालक्षण आदि भी वर्णित हैं। इन विशेषताओं से मयमत वास्तुशास्त्र का एक आदर्श ग्रन्थ है।
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