Venisanhar Natakam (वेणीसंहार नाटकम्)
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Author | Pro. Madhav Janardan Ratate |
Publisher | Bharatiya Book Corporation |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2021 |
ISBN | 978-81-85122-76-2 |
Pages | 410 |
Cover | Paper Back |
Size | 12 x 1.5 x 17 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0102 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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वेणीसंहार नाटकम् (Venisanhar Natakam) ‘वेणीसंहार’ का नाम इसमें आयी एक घटना के आधार पर रखा गया है। दुर्योधन तथा दुःशासन आदि द्वारा भरी सभा में द्रौपदी का अपमान होने पर तथा द्रौपदी के केश खींचे जाने पर भीमसेन ने यह प्रतिज्ञा की कि वह दुर्योधन के रक्त से द्रौपदी के केश बाँधेगा और तदनुसार अन्ततः दुर्योधन का वध कर उसके रक्त से भीमसेन द्रौपदी की वेणी बाँधता है। ‘वेणी को बाँधना (संहार)’ घटना के कारण ही नाटक का नाम वेणीसंहार है।
उपजीव्य – वेणीसंहार का उपजीव्य ग्रन्थ महाभारत है। महाभारत के उद्योगपर्व से शान्तिपर्व तक की कथा को भट्टनारायण ने अपनी दृष्टि से कुछ परिवर्तन और परिवर्धन कर ‘वेणीसंहार’ के रूप में लिखा है। कवि ने कई स्थानों पर नवीन उद्भावनाएं की हैं। उदाहरणार्थ- (१) महाभारत में दूतरूपी श्रीकृष्ण दुर्योधन की पकड़ से बचने के लिए विराट् रूप नहीं दर्शाते हैं, अपितु उसे प्रभावित करने के लिए दर्शाते हैं; किन्तु वेणीसंहार में दुर्योधन की पकड़ से बचने के लिए श्रीकृष्ण ने विराट् रूप दिखाया है-यह बात बतलायी गयी है। (२) महाभारत में कर्ण और अश्वत्थामा का वाक्कलह द्रोणाचार्य की मृत्यु के पूर्व ही होता है, किन्तु वेणीसंहार में द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद दोनों का कलह होता है। (३) चार्वाक राक्षस की कथा महाभारत में उल्लिखित नहीं है। (४) महाभारत में युधिष्ठिर जल में छिपे दुर्योधन को युद्ध के लिए ललकारते हैं, किन्तु वेणीसंहार में भीमसेन ने दुर्योधन को युद्ध के लिए ललकारा है।
इसी प्रकार वेणीसंहार में उल्लिखित अनेक पात्र चेटी, राक्षसयुगल आदि भी काल्पनिक हैं।
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