Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-20%

Vyakaran Bhushan Saar (व्याकरणभूषणसार:)

320.00

Author Acharya Dev Datta Sharma
Publisher Bharatiya Vidya Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition, 2016
ISBN 978-93-81189-48-1
Pages 762
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code BVS0003
Other Dispatched in 1-3 days

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

व्याकरणभूषणसार: (Vyakaran Bhushan Saar) व्याकरण शास्त्र वेदपुरुष का मुखस्थानीय है- मुखं व्याकरणं स्मृतम्। मुख होने के कारण ही वेदाङ्गों में भी यह मुख्य है। शब्द तथा अर्थ के विश्लेषण पर आधारित इस विद्या का उदय भूतल पर भारतवर्ष में ही सम्पन्न हुआ था। व्याकरण का साक्षात् सम्बन्ध वेद के साथ है; क्योंकि वेद में अनेक पदों की व्युत्पत्तियाँ उपलब्ध होती है, जो व्याकरण की प्राचीनता सिद्ध करने के लिये पर्याप्त मानी जा सकती हैं।

पतञ्जलि ने व्याकरण शास्त्र का प्रयोजन बतलाने वाली पाँच ऋचाओं को उद्धृत करने के साथ ही उन ऋचाओं का व्याकरण शास्त्रपरक अर्थ भी निर्दिष्ट किया है; फलतः प्राचीन आचार्यों की दृष्टि में व्याकरण वेद का ही एक अंग है। इस शास्त्र का उदय पदपाठों से भी प्राचीनतर है; क्योंकि पदपाठ में प्रकृति का प्रत्यय से, धातु का उपसर्ग से तथा समस्त पदों में पूर्व का उत्तर पदों से विभाग पूर्णतया प्रदर्शित किया जाता है और यह विभाजन-पद्धति पूर्णतया व्याकरण शास्त्र के अनुशीलन पर आधारित है। इतना ही नहीं; व्याकरण के अन्तर्गत पठित प्रातिपदिक, आख्यात, लिङ्ग, वचन, विभक्ति, प्रत्यय आदि प्रख्यात पारिभाषिक पदों का उल्लेख गोपथब्राह्मण के पूर्वार्द्ध में भी प्राप्त होता है; साथ ही अन्य ब्राह्मणों में भी इस प्रकार के पारिभाषिक शब्द यत्र-तत्र उपलब्ध होते हैं; फलतः व्याकरण शास्त्र की प्राचीनता, वेदनिर्दिष्टता तथा वेदाङ्गमुख्यता स्पष्टतः प्रमाणित होती है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Vyakaran Bhushan Saar (व्याकरणभूषणसार:)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×