Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.

Vyas Vaibhav (व्यास वैभव)

300.00

Author Prof. Gangadhar Panda
Publisher Uttar Pradesh Sanskrit Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition
ISBN -
Pages 383
Cover Hard Cover
Size 23 x 2 x 15 (l x w x h)
Weight
Item Code MP0014
Other Dispatched in 1-3 days

5 in stock (can be backordered)

Compare

Description

व्यास वैभव (Vyas Vaibhav) एक वर्ष पूर्व भारतीय विज्ञान वैभव पुस्तक का लोकार्पण माननीय श्री मुरली मनोहर जोशी जी सांसद के कर कमलों से सम्पन्न हुआ था। इस पुस्तक की परिकल्पना एवं प्रस्तुति भी मेरी ही थी। इस पुस्तक में देश के प्राचीन वैज्ञानिक ऋषियों के जीवन, दर्शन एवं विज्ञान का उल्लेख है। अनेकों श्रेष्ठ विद्वानों ने अलग-अलग वैज्ञानिक ऋषियों पर लेख लिखकर दिये जिन्हें इस पुस्तक में संग्रहित किया गया। इस पुस्तक के प्रकाशन से हम अपने वैज्ञानिक ऋषियों के बारे में प्रामाणिक जानकारी प्राप्त कर सके। साथ ही कुछ स्वदेशी अर्वाचीन वैज्ञानिकों के बारे में भी जानकारी दी गई है। सारे देश में यह पुस्तक अपने आप में अकेली है जिसके कारण हमारे प्राचीन ऋषि वैज्ञानिक पुनर्जीवित हो सके।

विश्व में वेदव्यास जी सरीखा विद्वान् एवं सिद्ध पुरुष आज तक पैदा ही नहीं हुआ। वे भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के प्रतीक हैं। लेकिन खेद है कि वेदव्यास जी के बारे में प्रामाणिक जानकारी देने वाली कोई पुस्तक अब तक हिन्दी में प्रकाशित नहीं हो सका है। मेरे मन में पुनः वेदव्यास जी के सम्बन्ध में पुस्तक प्रकाशन की प्रेरणा उठी। मैंने काशी के जो विशिष्ट विद्वान हैं जो लेख लिखकर दे सकें, उनका नाम बताने का आग्रह किया। सूची बनकर तैयार हो गई। फिर सम्पादक महोदय की खोज हुई। सम्पादक महोदय का हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत एवं पुराणों का विद्वान होना आवश्यक बताया गया। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के पुराण विभाग के अध्यक्ष प्रो. ग‌ङ्गाधर पण्डा जी का नाम सर्व सम्मति से प्रस्तावित हुआ, जिन्हें सम्पादक के रूप में स्वीकार कर लिया गया।

सभी विद्वानों को सम्बन्धित विषय पर लेख लिख कर भेजने का आग्रह किया गया तथा सभी विद्वानों ने लेख लिखकर भेज दिया। मेरा अनुमान है कि व्यास वैभव पुस्तक को पढ़ने के उपरान्त भगवान् वेदव्यास के सभी पक्षों की जानकारी पाठकों को हो जायेगी। भगवान् वेदव्यास ने वेदों को व्यवस्थित कर विभाजन किया, अठारह पुराणों की रचना की, वेदान्तदर्शन के मूल ब्रह्मसूत्रों एवं एक लाख श्लोकों वाले पंचम वेद महाभारत की रचना भी उनके द्वारा की गई।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Vyas Vaibhav (व्यास वैभव)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×