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Bharatiya Jyotish (भारतीय ज्योतिष)

300.00

Author Shivnath Jharkhandi
Publisher Uttar Pradesh Hindi Sansthan
Language Hindi
Edition 2023
ISBN 978-93-82175-91-9
Pages 755
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code UPHS0026
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Description

भारतीय ज्योतिष (Bharatiya Jyotish) प्रकृति के बिना मुनष्य का कोई परिचय ही नहीं हो सकता। उसी की गोद में उसकी समूची जीवन-यात्रा बीतती है। आंख खोलते ही मनुष्य का पहला-पहला साक्षात्कार प्रकृति की जिन घटनाओं से होता है, उनमें या उनके प्रेरक तत्वों के रूप में खगोलीय घटनाओं का अत्यंत प्रमुख योगदान है। ग्रहों, उपग्रहों, नक्षत्रों, नीहारिकाओं की स्थितियाँ और ब्रह्माण्ड की विभिन्न घटनाएं निरंतर उसकी उत्सुकता का केन्द्र रही हैं। अत्यंत प्राचीन साल से मनुष्य ने विशेषकर भारतीयों ने इस दिशा में अत्यंत सराहनीय कार्य किया है। ऋग्वेद तक में काल-गणना आदि के संकेत मिलते हैं। बाद में इसे ज्योतिष के रूप में अभिहित किया गया। आश्चर्यजनक रूप से आज भी जिन प्रमुख क्षेत्रों यथा कम्प्यूटर साइंस और अंत्रिक्ष विज्ञान आदि में भारत दुनिया का नेतृत्व कर रहा है, वे दोनों ही काफी हद तक इसी काल-गणना और खगोलीय विज्ञान के ही विकसित रूप हैं।

सुप्रसिद्ध खगोलविद् और ज्योतिषाचार्य स्वर्गीय श्रीशंकर बालकृष्ण दीक्षित की पुस्तक ‘भारतीय ज्योतिष’ इस सन्दर्भ में वर्तमान में लिखी गयी है पुस्तकों में अत्यंत उल्लेखनीय रही है। इस क्षेत्र के विद्वान और जिज्ञासु पाठक इस रचना को मानक-रूप में स्वीकारते हैं। मूलतः ‘भारतीय ज्योतिष’ एक सदी पूर्व मराठी में लिखी गयी थी, जिसका यह हिन्दी अनुवाद ज्योतिषाचार्य शिवनाथ झारखण्डी जी ने किया है। इसका पहला संस्करण पिछली सदी के छठे दशक में हिन्दी समिति प्रकाशन योजना के अन्तर्गत प्रकाशित किया गया था। तब से इस अमूल्य धरोहर के चार संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। इन्हे अत्यन्त सराहा गया, अपनाया गया और अब यह पांचवाँ संस्करण आपके हाथों में है। विद्वान लेखक और अनुवाद दोनों ही अब नहीं हैं उनकी पुण स्मृति को नमन करते हैं। हम उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के हिन्दी समिति प्रभाग के अन्तर्गत इसे पुनः मुद्रित करते हुए अत्यन्त गौरवान्वित हैं।

मूलतः यह ग्रंथ दो भागों में विभक्त है-प्रथम भाग में वैदिककाल तथा वैदांगकाल में ज्योतिष के विकास की चर्चा है। द्वितीय भाग में सिद्धान्तकालीन ज्योतिषशास्त्र के इतिहास की चर्चा है। इनमें ज्योतिषशास्त्र के सभी अंगों पर गम्भीर विस्तारित और तार्किक जानकारियाँ पग-पग पर पाठक को गहरे प्रभावित एवं प्रशिक्षित करती हैं। ज्योतिषशास्त्र के संहिता व जातक जैसे क्षेत्र ग्रहादि की ज्योतियों की गति पर अवलम्बित होते हैं। इसी तरह, अमुक समय पर अमुक ग्रह आकाश में अमुक स्थान पर रहेगा, यह बताना भी ज्योतिषशास्त्र का अत्यंत महत्त्वपूर्ण अंग है, ऐसी अनेकानेक दुरूह जानकारियाँ यह ग्रंथ हमें तत्काल देने में सक्षम है।

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