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Prachin Bharat Me Varnashram Vyavastha (प्राचीन भारत में वर्णाश्रम व्यवस्था)

127.00

Author Dr. Manorama Johari
Publisher The Bharatiya Vidya Prakashan
Language Hindi
Edition 2019
ISBN 978-93-88415-01-9
Pages 146
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0407
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Description

प्राचीन भारत में वर्णाश्रम व्यवस्था (Prachin Bharat Me Varnashram Vyavastha) वर्णाश्रम-व्यवस्था भारतीय संस्कृति के सामाजिक पक्ष का मूलाधार है। इस व्यवस्था की सुदृढ़ नींव पर, कर्मेन्द्रिय, मन तथा बुद्धि-विषयक विविध व्यवसायों की लोककल्याणकारी भावना का मूर्त-भवन निर्मित हुआ, जिसे भारतीय संस्कृति कहा जाता है। सत्य, अहिंसा, परोपकार और त्याग – इस भवन के चार महान् स्तंभ रहे हैं, जिन्होंने उसे दृढ़ता प्रदान की। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को जीवन के पुरुषार्थ चतुष्टय के रूप में मान्य किया गया।

भारतीय संस्कृति में मानवता को सर्वोच्च स्थान प्रदान किया गया है। इतना ही नहीं, सारी सृष्टि में एक कुटुम्ब जैसी भावना का उद्घोष सर्वप्रथम इसी संस्कृति ने किया। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अत्यन्त उदार भावना को लेकर हम अग्रसर हुए। पृथिवी के सभी मानव-चाहे वे भारतीय हों या अन्यदेशीय – इसी उदार भावना से अनुप्राणित होकर चरित्र की शिक्षा प्राप्त करें, यही हमारे मनीषियों का ध्येय था।

“डॉ० मनोरमा जौहरी ने प्रस्तुत पुस्तक में वर्णाश्रम-व्यवस्था का वैज्ञानिक ढंग से रोचक विवरण दिया है। प्रमाणों तथा उद्धरणों को यथास्थान दिया गया है। प्राचीन भारतीय समाज-व्यवस्था के विद्यार्थियों के लिये यह पुस्तक बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।”

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